
इंदौर। भाजपा के अध्यक्ष घोषित होते से ही अब कार्यकारिणी गठन की कवायद शुरू होने वाली है। वैसे भाजपा पूरे पदाधिकारियों को ही बदल देती है, लेकिन जिसका प्रदर्शन अच्छा होता है उसे फिर से मौका भी देती है। हालांकि इस बार नगर कार्यकारिणी में पूरे घर के ही बदलने की तैयारी है, क्योंकि पुरानी कार्यकारिणी के पदाधिकारियों को देखा जाए तो इनमें से कई तो सक्रिय ही नहीं रहे और कोई विशेष अवसर पर आकर अपनी हाजरी लगाते रहे।
वैसे यह तो तय है कि कार्यकारिणी में भी विधायकों और बड़े नेताओं की ही चलती है और इसी का फायदा उठाकर कई ऐसे कार्यकर्ता पद पाने में सफल हो जाते हैं, जो पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा कम और अपने नेता की वफादारी ज्यादा करते हैं। निवृतमान अध्यक्ष गौरव रणदिवे की 30 सदस्यीय कार्यकारिणी में भी कई ऐसे ही लोग थे, जो अपनी-अपनी विधानसभा में सक्रिय तो रहे, लेकिन नगर संगठन द्वारा दिए जाने वाले कामों की जवाबदारी से बचते रहे, वहीं कुछ पार्षद बनने के बाद भाजपा कार्यालय से दूर हो गए। यही हालत मंडल अध्यक्षों की भी रही, जिसमें कोई पार्षद बना तो कोई अपनी पत्नी को पार्षद बनाने में कामयाब हो गया और फिर अपने ही क्षेत्र तक सीमित हो गया।
पार्षद बनने के बाद इन्होंने बना ली कार्यालय से दूरी
करीब ढाई साल पहले हुए नगर निगम चुनाव में पार्टी ने कई नगर पदाधिकारियों को टिकट दिया और वे जीत भी गए। उसके बाद उन्होंने पलटकर भाजपा कार्यालय का मुंह नहीं देखा। एक पद एक नेता के सिद्धांत पर कार्य करने वाली भाजपा भी इन्हें पद से नहीं हटा सकी। इनमें नगर उपाध्यक्ष प्रणव मंडल, योगेश गेंदर पार्षद बन गए तो नगर महामंत्री संदीप दुबे की पत्नी शिखा दुबे जैसे ही पार्षद बनी, उन्होंने भी कार्यालय में अपनी सक्रियता कम कर दी।
महिलाओं में सविता अखंड ही रही सक्रिय
पार्टी ने नगर कार्यकारिणी में महिला पदाधिकारी भी बनाई थीं, लेकिन नगर महामंत्री सविता अखंड को छोड़ पद्मा भोजे, गायत्री गोगड़े, ज्योति पंडित, अनिता व्यास, माधुरी जायसवाल समय-समय पर ही कार्यालय में नजर आईं, जब पार्टी ने उन्हें कोई खास जवाबदारी दी।
इन्होंने बनाए रखी दीनदयाल भवन से दूरी
नगर उपाध्यक्ष बनााए गए नारायण पटेल, एकलव्यसिंह गौड़, पवन जायसवाल, दीपक राजपूत, वैभव शुक्ला, निक्की करोसिया, अजीतसिंह राय, अतुल बनवड़ीकर, मनदीपसिंह बाजवा, पप्पू शर्मा ने दीनदयाल भवन से दूरी बनाए रखी। केवल ये बैठकों में ही नजर आए, वहीं नगर मंत्री दिलीपसिंह ठाकुर तो कभी कार्यालय में नजर नहीं आए। इनमें से अधिकांश अपने क्षेत्र के कार्यक्रमों में ही नजर आते थे।
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