
इंदौर। जैन धर्म के प्रति आस्था का ऐसा उदाहरण शायद ही कभी देखा होगा, जब एक जैन धर्मालु ने हृदयाघात के दौरान यह कहते हुए दवा लेने से इनकार कर दिया कि वे अपनी जैन धर्म की परंपरा के अनुसार नवकारसी के पहले दवाई नहीं ले सकते। इसी दौरान आए दूसरे हृदयाघात ने उनकी जान ले ली। एमवाय रोड पर मनोहर केमिस्ट के नाम से दुकान संचालित करने वाले शहर के मेडिकल व्यवसायी अमित चेलावत आज सुबह खेल प्रशाल में अपने साथियों के साथ बैडमिंटन खेल रहे थे।
खेल के दो दौर पूरे हो चुके थे, तभी उनके सीने में दर्द शुरू हुआ और वे एक ओर जाकर बैठ गए। कुछ ही देर में जब वे अचेत अवस्था में जाने लगे तो वहां मौजूद साथियों ने सीपीआर, यानी सीने पर पंपिंग की तो अमित उठ बैठे। उन्हें साथियों ने तात्कालिक उपचार के रूप में सार्बिट्रेट टेबलेट देना चाही तो अमित ने यह कहकर लेने से इनकार कर दिया कि वे अपनी जैन धर्म की परंपरा (नवकारसी) के अनुसार सुबह 8 बजे के पहले कुछ खा नहीं सकते। साथियों ने जबरन जब मुंह में दवाई दी तो दो बार उन्होंने निकाल दी। इसी दौरान उन्हें दिल का दूसरा दौरा पड़ा और उन्हें बचाया नहीं जा सका। अमित की उम्र मात्र 49 वर्ष की थी और उनकी दो बेटियां भी हैं। अमित के पिता मनोहर चेलावत का कोरोना काल में निधन हो गया था।
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