
इंदौर। लम्बे समय से निगम (Corporation), मंडल (Board), प्राधिकरण (authorities) में होने वाली राजनीतिक नियुक्तियां भी अटकी पड़ी है, जो अब होना है। भाजपा (BJP) के संगठन चुनाव की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। इंदौर (Indore) सहित सभी जिलों में शहर और ग्रामीण अध्यक्षों की नियुक्तियां हो चुकी है। हालांकि अभी कार्यभार ग्रहण करने की प्रक्रियाबची है और साथ ही प्रदेश अध्यक्ष का चयन भी किया जाना है। सूत्रों का कहना है कि 15 फरवरी तक यह प्रक्रियाभी पूरी हो सकती है और अगर इसमें विलंब हुआ तो फिर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद ही नया अध्यक्ष मिलेगा। दूसरी तरफ अध्यक्ष की दौड़ में पिछड़े नेता अब निगम, मंडल, प्राधिकरणों में नियुक्तियों के लिए छटपटा रहे हैं और नए सिरे से अपने राजनीतिक आकाओं के ईर्द-गिर्द मंडराने लगे, ताकि उन्हें संगठन की बजाय अब सत्ता में साझेदारी हासिल हो सके।
कुछ दिनों पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भी इस आशय के संकेत दिए थे कि अब राजनीतिक नियुक्तियां जल्द शुरू की जाएंगी। दरअसल, विधानसभा चुनाव के पहले से इसकी सुगबुगाहट चलती रही और तब यह कहा गया कि विधानसभा चुनाव एकजुटता के साथ लड़ा जाए और इसके बाद ये नियुक्तियां की जाएंगी। मगर विधानसभा चुनाव के 6 महीने बाद लोकसभा के चुनाव भी हो गए। मगर नेता और कार्यकर्ता इन नियुक्तियों की बांट ही जोहते रहे। उसके बाद संगठन चुनावों का सिलसिला शुरू हो गया और उसमें भी भीषण गुटबाजी और भोपाल से लेकर दिल्ली तक दौड़ के बाद जैसे-तेसे इंदौर सहित सभी जिलों में ग्रामीण और शहर अध्यक्षों की नियुक्ति हो पाई, जिसमें इंदौर में तो सबसे आखिरी नियुक्ति हुई, जिसके चलते ग्रामीण अध्यक्ष का जिम्मा श्रवणसिंह चावड़ा को मिला, तो इंदौर नगर अध्यक्ष का महत्वपूर्ण पद सुमित मिश्रा ने हासिल कर लिया। ग्रामीण क्षेत्र में चिंटू वर्मा की शहादत हुई, तो शहर में टीनू जैन, मुकेश राजावत, बबलू शर्मा सहित अन्य भी अध्यक्ष की दौड़ में शामिल थे। अब इनके साथ अन्य दावेदारों, जिनमें नानूराम कुमावत से लेकर प्रदीप नायर सहित अन्य चेहरे हैं, उन्हें यह भरोसा है कि अब किसी निगम, मंडल या प्राधिकरण में समायोजित हो जाएंगे, जिसके चलते नए सिरे से इन दावेदारों ने फिल्डिंग शुरू कर दी है। इंदौर विकास प्राधिकरण में भी राजनीतिक नियुक्तियां विधानसभा चुनाव के बाद से अभी तक नहीं हुई है और अफसरों का राज ही चल रहा है। लिहाजा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष से लेकर संचालक मंडल के लिए सारे नेता प्रयासरत हैं, जिनमें हरिनारायण यादव से लेकर वे नाम भी शामिल हैं, जिन्हें विधानसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दी और यह भरोसा दिलाया कि उन्हें कहीं ना कहीं अच्छी जगह एड्जस्ट किया जाएगा। दरअसल, इंदौर में भाजपा में ही भीषण गुटबाजी है। सांसद से लेकर विधायकों की अपनी-अपनी खेमेबाजी है, जिसमें ताई और भाई गुट भी शामिल है, तो कुछ नए गुट बने और मुख्यमंत्री के चलते यादव लॉबी भी मजबूत हो गई, जिसके चलते गुलशन यादव सहित अन्य नाम भी निगम, मंडल, प्राधिकरण की दौड़ में शामिल हो गए हैं। अब हालांकि देखना यह है कि कब तक ये राजनीतिक नियुक्तियां शुरू हो ती है, क्योंकि अब सिर्फ भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का चयन ही बचा है, जो कि जल्द होने के दावे संगठन द्वारा किए जा रहे हैं। अगर इसमें थोड़ा विलंब होता है तो फिर संभव है कि भोपाल में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बड़े $आयोजन के बाद ये नियुक्तियां हों, क्योंकि अभी मुख्यमंत्री सहित अन्य इसकी तैयारियों में जुटे हैं, क्योंकि पीएम मोदी भी इसमें शामिल हो रहे हैं।
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