
इंदौर की कम्पनी ने भी साढ़े 7 फीसदी बिजली महंगी करने के प्रस्ताव नियामक आयोग को याचिका के माध्यम से सौंपे हैं, गिनती के उपभोक्ताओं ने दायर की आपत्तियां
इंदौर। प्रदेश (State) की तीनों बिजली कम्पनियों (power companies) ने हर साल की तरह इस बार भी विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) के समक्ष याचिकाएं दायर कर बिजली की दरों (electricity rates) में वृद्धि की अनुमति मांगी है। इन कम्पनियों ने अपनी याचिकाओं में 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक का घाटा बताया है, जिसमें इंदौर की पश्चिमी क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी भी शामिल है, जिसने 1618 करोड़ के घाटे का हवाला देकर साढ़े 7 फीसदी तक बिजली महंगी करने के प्रस्ताव सौंपे हैं, जिस पर आयोग आज सुनवाई की नौटंकी कर रहा है और वैसे भी गिनती के उपभोक्ताओं ने आपत्तियां प्रस्तुत की हैं।
लाखों की संख्या में घरेलू, व्यवसायिक और अन्य श्रेणी के उपभोक्ता इंदौरी कम्पनी के ही हैं। मगर हर साल जो दावे-आपत्तियां नियामक आयोग द्वारा बुलवाई जाती है उसमें गिनती के ही उपभोक्ताओं और उनमें भी औद्योगिक संगठनों, एनजीओ और कुछ चुनिंदा विशेषज्ञों द्वारा ही दावे-आपत्तियां प्रस्तुत करते हुए बिजली कम्पनी की याचिकाओं का विरोध किया जाता है। मगर आम उपभोक्ता, जिसे हर साल बिजली की बढ़ी हुई कीमतों का भार उठाना पड़ता है, उसकी ओर से इसलिए भी आपत्तियां प्रस्तुत नहीं होती क्योंकि जानकारी का भी अभाव रहता है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश पॉवर जनरेशन कम्पनी के साथ प्रदेश की तीनों वितरण कम्पनियों ने बिजली की दरें बढ़ाने के संबंध में आयोग के समक्ष याचिका दायर की, जिसमें 4 हजार करोड़ से अधिक का घाटा बताते हुए 7.52 फीसदी दरें बढ़ाने के प्रस्ताव सौंपे, जिस पर आयोग की ओर से दावे-आपत्तियां आमंत्रित की गई, ताकि उनकी विधिवत सुनवाई की जा सके। इंदौर की बिजली कम्पनी की याचिका पर आई आपत्तियों की सुनवाई आज 11 फरवरी को हो रही है। वहीं पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनियों की आपत्तियों की सुनवाई 13 फरवरी को और मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण की आपत्तियों की सुनवाई 14 फरवरी को होगी। हालांकि जो गिनती की आपत्तियां आई हैं उनमें भी बिजली कम्पनी द्वारा बताए गए घाटे को गलत ठहराया गया है, क्योंकि पारेषण क्षति के साथ-साथ बिजली की चोरी भी बड़े पैमाने पर अभी भी होती है, जिसके चलते बिजली कम्पनियों को घाटा बताना पड़ता है और इसका खामियाजा ईमानदार उपभोक्ता भरते हैं। इन बिजली कम्पनियों ने आगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 58744 करोड़ रुपए के राजस्व की जरूरत बताई है और वर्तमान बिजली की दरों के मुताबिक उसकी आय 54636 करोड़ रुपए ही होती है। लिहाजा जो अंतर है, उसे पाटने के लिए बिजली की दरें बढ़वाई जाएंगी। आज सुनवाई की नौटंकी करने के बाद नियामक आयोग दर वृद्धि की अनुमति दे देगा और संभवत: मार्च या अप्रैल से उपभोक्ताओं को अधिक दरों पर बिजली बिल भरना पड़ेंगे। इंदौरी कम्पनी ने अपना घाटा 168 करोड़ का याचिका में बताया है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved