
लखनऊ । लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) से पहले अस्तिस्व में आए इंडिया गठबंधन (India Alliance) की नैया बीते कुछ महीनों से मझधार में फंसी हुई है. बीते माह दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की बुरी हार हुई. उससे पहले हरियाणा और महाराष्ट्र में हुए विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को बुरी हार झेलनी पड़ी. इन हारों के बाद देश भर से इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों के भीतर से आवाज उठने लगी. अधिकतर सहयोगी दलों ने कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि यह गठबंधन अब अपना महत्व खो रहा है. ऐसा कांग्रेस पार्टी की वजह से हो रहा है.
दिल्ली में गठबंधन के दो सहयोगी दलों कांग्रेस और आप के अलग-अलग चुनाव लड़ने के कारण राज्य में भाजपा को शानदार जीत मिली है. इसी तरह हरियाणा में भी कांग्रेस और आप ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और वहां भी अनुमान के विपरीत भाजपा को शानदार जीत मिली थी.
इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और आप के बीच तकरार का असर इंडिया गठबंधन के भविष्य पर पड़ने लगा. सहयोगी दलों से आवाज उठने लगी कि गठबंधन में कोई बड़ा नेता संयोजक पद पर होना चाहिए. इसमें सबसे बड़ा नाम पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी मुखिया ममता बनर्जी का था. ममता बनर्जी ने भी खुलेआम संयोजक की भूमिका निभाने की इच्छा जता चुकी है. फिर महाराष्ट्र में गठबंधन से सहयोगी दलों शिवसेना उद्धव गुट और शरद पवार की एनसीपी ने भी कांग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए. जम्मू कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने भी गठबंधन के भविष्य को लेकर सवाल पूछे. दिल्ली चुनाव के दौरान आप नेता अरविंद केजरीवाल ने तो इंडिया गठबंधन से ही कांग्रेस को बाहर करने की मांग कर डाली थी.
सपा मुखिया की चर्चा
इन सबके बीच अब इंडिया के संयोजक पक्ष के लिए एक नए चेहरे के नाम की चर्चा हो रही है. वो हैं सपा मुखिया अखिलेश यादव. सपा के एक बड़े नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा है कि यूपी में अखिलेश यादव सबसे बड़े नेता बनकर उभरे हैं. लोकसभा में सपा दूसरी सबसे बड़ी विपक्ष पार्टी है. उसके पास 37 सांसद हैं. ऐसे में हम चाहते हैं अखिलेश यादव हो इंडिया गठबंधन के संयोजक का पद दिया जाए.
दरअसल, इंडिया गठबंधन की स्थापना के वक्त ही इसके संयोजक के पद को लेकर बवाल होता रहा है. इस गठबंधन को आकार रूप दिलाने में बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने अहम भूमिका निभाई थी. लेकिन, कथित तौर पर संयोजक का पद नहीं मिलने के कारण वह गठबंधन से बाहर हो गए और बिहार में एक बार फिर भाजपा के साथ चले गए. लोकसभा चुनाव के वक्त इस गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर प्रदर्शन किया. उत्तर प्रदेश में सपा-कांग्रेस के गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की. लेकिन, आज तक इस गठबंधन के लिए किसी नेता को संयोजक का पद नहीं मिला है.
क्षेत्रीय दल अपना वर्चस्व चाहते हैं
गठबंधन के भीतर क्षेत्रीय पार्टियां अब वर्चस्व चाहती हैं. ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल जैसे अपने-अपने राज्यों कांग्रेस के साथ सहज नहीं हैं. ऐसे में अब संयोजक पद के लिए अखिलेश यादव की चर्चा हो रही है. इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव है. वहां इंडिया गठबंधन के तहत राजद और कांग्रेस चुनाव मैदान में उतर सकती हैं. लेकिन, बीते लोकसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर जिस तरह राजद और कांग्रेस में खींचतान चली थी उसको देखते हुए राह आसान नहीं रहने वाली है.
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