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ड्राइव इन सिनेमा की बेशकीमती जमीन पर नया फर्जीवाड़ा उजागर, बिना डायवर्शन और अभिन्यास मंजूरी के ही निगम ने दे डाली विकास अनुमति

March 03, 2025

  • प्राधिकरण ने आयुक्त को लिखा पत्र, अपनी सफाई में निगम का कहना कि हाईकोर्ट आदेश पर देना पड़ी थी अनुमति, मगर 2021 में ही हो गई समाप्त भी

इन्दौर। अग्निबाण द्वारा उजागर किए गए ड्राइव इन सिनेमा के जमीन घोटाले में एक और नया फर्जीवाड़ा सामने आया, जिसमें पता चला कि बिना डायवर्शन और नगर तथा ग्राम निवेश से अभिन्यास मंजूरी करवाए बिना ही नगर निगम के कालोनी सेल ने विकास अनुमति दे डाली। हालांकि निगम की सफाई यह है कि हाईकोर्ट आदेश पर उक्त अनुमति दी गई थी, जो कि 2021 में ही समाप्त हो गई। हालांकि अभी दो दिन पहले प्राधिकरण ने मौके पर पहुंचकर चल रहे अवैध निर्माण कार्य को रुकवाया और साथ ही प्राधिकरण सीईओ ने निगम को पत्र लिखकर विभाग पर आपत्ति जाहिर की कि उक्त जमीन प्राधिकरण की है। उस पर दी गई विकास अनुमति को निरस्त किया जाए। फिलहाल लीज निरस्ती के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और वहां से स्थगन आदेश प्राप्त है। बावजूद इसके जमीन मालिकों द्वारा मौके पर कालोनी काटने का अवैध कृत्य किया गया।

योजना क्रमांक 114-पार्ट 2 निरंजनपुर में 3 लाख 32 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक की बेशकीमती जमीन सालों पहले ड्राइव इन सिनेमा के नाम से योजना से मुक्त की गई थी। वर्तमान में इस जमीन की कीमत 800 करोड़ रुपये ज्यादा की है। 2014 में भी अग्निबाण ने सिनेमा की जमीन को बेच डालने से जुड़ा समाचार प्रकाशित किया था, जिसके आधार पर प्राधिकरण ने योजना से जमीन छोडऩे की शर्त के उल्लंघन के चलते लीज निरस्त कर दी थी, जिसे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई और फिलहाल यह प्रकरण हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है और दूसरी तरफ चोरी-छिपे इस जमीन से जुड़े जादूगरों ने मौके पर अवैध विकास कार्य शुरू करवा दिया, जिसकी जानकारी मिलने पर प्राधिकरण सीईओ ने दो दिन पहले अपने संपदा अधिकारी मनीष श्रीवास्तव और भू-अर्जन अधिकारी सुदीप मीणा को जेसीबी लेकर मौके पर भेजा और चल रहे कार्य को रुकवाया। प्राधिकरण सीईओ श्री अहीरवार के मुताबिक यह हाईकोर्ट आदेश की भी अवमानना है और लीज शर्तों का भी उल्लंघन है,जिसके चलते अभिभाषक के जरिए हाईकोर्ट को भी अवगत कराया जा रहा है।


साथ ही प्राधिकरण सीईओ ने अपने भूअर्जन अधिकारी के माध्यम से अपर आयुक्त कालोनी सेल निगम को एक पत्र भी भेजा है, जिसमें कहा गया कि 3.176 हेक्टेयर जमीन पर रेवाचंद, लालचंद्र, राजकुमार, कन्हैयालाल और प्रकाश के नाम से जो आवासीय सहवाणिज्यिक प्रयोजन की अनुमति दी गई है, उसे निरस्त किया जाए। इस पत्र में यह भी लिखा गया कि इन आवेदकों ने नगर तथा ग्राम निवेश से ना तो अभिन्यास मंजूर करवाया और ना ही जमीन का डायवर्शन का कोई आदेश प्राप्त किया, बल्कि दोनों जगह डीम्ड परमिशन लगाई गई और उसी आधार पर नगर निगम से विकास अनुमति हासिल कर ली। इस बारे में जब निगम के कालोनी सेल से अग्निबाण ने पता किया तो यह जानकारी मिली कि हाईकोर्ट आदेश पर निगम ने उक्त विकास अनुमति को 2018 में जारी की थी, जो तीन बाद 2021 में समाप्त भी हो गई और मौके पर किसी तरह का विकास भी इस अनुमति के आधार पर नहीं किया गया।

वर्तमान में निगम का कहना है कि अगर जमीन मालिकों द्वारा विकास कार्य किया जा रहा है तो वह पूरी तरह से अवैध ही है और वर्तमान में किसी तरह की विकास अनुमति नए सिरे से नहीं दी गई और पूर्व की अनुमति भी समाप्त हो चुकी है। बहरहाल प्राधिकरण ने निगम को पत्र लिखने के साथ हाईकोर्ट में भी यह जवाब लगाया जा रहा है कि स्थगन आदेश के बावजूद जमीन मालिकों द्वारा मौके पर अवैध रूप से विकास कार्य किया जा रहा है। प्राधिकरण की योजना निरंजनपुर के खसरा नंबर 416/4, 416/5, 417/2, 417/3 की उक्त जमीन के मूल भूधारक देवश्री सिनेमा मालिक मनोहर देव रहे हैं, जिन्हें प्राधिकरण के संकल्प 221, दिनांक 30-11-1992 के द्वारा निजी विकास की अनुमति दी गई थी और यह अनुमति इकरारनामे के जरिए सिर्फ ड्राइव इन सिनेमा के लिए हासिल थी, लेकिन जमीन मालिक ने शर्तों का उल्लंघन किया, जिसके चलते प्राधिकरण ने संकल्प 105, दिनांक 2-6-2014 के जरिए विकास अनुमति को निरस्त कर दिया। बाद में भूस्वामी ने यह जमीन रेवाचंद और अन्य को बेच डाली।

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