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कई भिखारी रोजगार से जुड़े, भीख मांगने वाले हाथ बना रहे हैं होलिका दहन के उपले और मालाएं

March 04, 2025

  • हाथ फैलाने वाले अब हाथों से काम करने वाले बने, नशे की लत से भी छुटकारा

इंदौर। एक तरफ प्रशासन ने इंदौर में भीख मांगने पर प्रतिबंध लगाया और साथ ही भीख देने वालों के खिलाफ भी कार्रवाई शुरू की। दूसरी तरफ कई भिखारियों को उज्जैन के सेवाधाम भी भिजवाया तो जो छोटे बच्चे भीख मांगते थे, उन्हें अब स्कूलों में भर्ती कराया जा रहा है। अभी ऐसे 62 बच्चों का प्रवेश स्कूलों में करवाया और उनके पालकों को भी रोजगार दिलवाया जा रहा है। दूसरी तरफ भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र पर भी भिक्षावृत्ति और विक्षिप्त अवस्था में घूमने वालों का इलाज करवाकर उन्हें भी अलग-अलग तरह के रोजगार उपलब्ध कराए जा रहे हैं। अभी होलिका दहन के उपले और मालाएं लगभग 19 पुरुष और महिला भिखारियों द्वारा तैयार किए जा रहे हैं, जिनकी ऑनलाइन बिक्री भी करवाई जा रही है।

कलेक्टर आशीष सिंह ने भिक्षावृत्ति उन्मूलन के चलते जहां भीख मांगने पर रोक लगाई, वहीं भिखारियों को रोजगार दिलवाने के साथ उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई का बंदोबस्त भी करवाया है। अभी ऐसे 62 बच्चों को स्कूलों में भर्ती कराया गया, वहीं उन्हें कॉपी-किताब, यूनिफार्म भी दिलवाई गई। दूसरी तरफ भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र का संचालन करने वाली संस्था प्रवेश की रूपाली जैन ने बताया कि अभी होली पूजन के लिए गोबर के उपले और बडक़ुल्लों की माला तैयार कराई जा रही है। कुछ समय पूर्व भिक्षावृत्ति के साथ नशे के शिकार और विक्षिप्त अवस्था में घूमने वालों को भी केन्द्र पर लाया गया, जिनमें से कुछ का मानसिक अस्पताल में उपचार चला और अब ऐसे 19 भिक्षुक ठीक होने के बाद रोजगार से जुड़े कार्य कर रहे हैं। इनमें महिला और पुरुष दोनों शामिल हैं। पिछले 15 दिनों से पुनर्वास केन्द्र पर 11 पुरुष और आठ महिलाएं होलिका दहन में इस्तेमाल होने वाले गोबर के उपले और बडक़ुल्लों की मालाएं तैयार कर रहे हैं, जिन्हें कुछ संस्थाओं द्वारा खरीदा जा रहा है और इनकी ऑनलाइन बिक्री भी कराई जा रही है।


इसके लिए कुछ गोशालाओं ने गोबर भी दान में दिया है। इस कार्य में रानी शेखावत, कमल उचाडिय़ा, राजेश कोरी, प्रदीप सुखदेव सहित अन्य टीम जुटी हुई है। भीख मांगने वाले हाथ अब इस तरह रोजगार उन्मुखी कार्य में भी लगे हैं, जिनमें से कई तो नशे में लिप्त भी रहे हैं, जिनका इलाज भी करवाया गया। 50 से अधिक भिक्षुकों और बेघर लोगों को परदेशीपुरा स्थित भिक्षुक पुनर्वास केन्द्र में आश्रय दिया गया है। संस्था संचालिका रूपाली जैन का कहना है कि अभी होलिका दहन के लिए पर्यावरण की दृष्टि से भी गोबर के उपलों का इस्तेमाल करना चाहिए, बजाय लकडिय़ों को काटने और जलाने के। यही कारण है कि केन्द्र पर इन भिक्षुकों से ये उपले और होलिका पूजा में चढ़ाई जाने वाली मालाएं तैयार करवाई जा रही हैं। इसके लिए विद्याधाम, सांई मंदिर, मालवा मिल सहित अन्य गोशालाओं से दान में गोबर भी मिला है। अभी कई संस्थाओं, सोसायटियों, कॉलोनियों में होलिका दहन के आयोजन होंगे। उसके लिए भी इन भिक्षुकों द्वारा तैयार किए गए उपले और बडक़ुल्ले इस्तेमाल किए जाएंगे। दूसरी तरफ ऑनलाइन शॉपिंग साइट के माध्यम से भी इस तरह के उत्पादों की बिक्री करवाई जाती है।

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