
नई दिल्ली। लगातार बढ़ता तापमान (Rising temperature) न केवल चरम मौसमी घटनाओं (Seasonal events) को जन्म दे रहा है, बल्कि देश में बिजली की मांग भी बढ़ा (Demand for electricity also increased) रहा है। जलवायु संगठन क्लाइमेट ट्रेंड्स की नई रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती गर्मी के कारण बीते फरवरी में बिजली की खपत काफी ज्यादा बढ़ गई थी। इस दौरान अधिकतम बिजली मांग 238 गीगावाट तक पहुंच गई।
रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि मार्च-अप्रैल 2025 में बिजली की मांग और बढ़ सकती है। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) पहले ही संकेत दे चुका है कि इन महीनों में तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। 2023 में बिजली की मांग में अधिकतर वृद्धि गर्मियों के दौरान दर्ज की गई थी।
बढ़ते तापमान के कारण 2023 की गर्मियों में बिजली की अधिकतम मांग में 41फीसदी की वृद्धि हुई थी। विभिन्न राज्यों में गर्मियों के दौरान बिजली की मांग 16 से 110 फीसदी तक बढ़ी।
बढ़ रहा पावर ग्रिड पर दबाव
रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते तापमान के कारण पावर ग्रिड पर दबाव बढ़ रहा है, जिससे जीवाश्म ईंधन का उपयोग बढ़ रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण भारत में लू की स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर हो गई है। 2023 में तापमान वृद्धि के कारण देश को तीन फीसदी अधिक जीवाश्म ईंधन का उपयोग करना पड़ा। गर्मियों में बिजली की बढ़ती मांग पूरी करने के लिए जीवाश्म ईंधन से 285.3 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन किया गया, जिससे 20 लाख टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन हुआ।
76 फीसदी बिजली जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न हो रही
देश में सालाना 76 फीसदी बिजली जीवाश्म ईंधन से और 21 फीसदी अक्षय ऊर्जा स्रोतों से उत्पन्न हो रही है। बिजली की मांग और लू के बीच सीधा संबंध देखा गया, खासकर शहरी और आर्थिक रूप से समृद्ध क्षेत्रों में यह अधिक स्पष्ट था। शहरों में अत्यधिक गर्मी के दौरान बिजली की खपत अधिक होती है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की मांग में ज्यादा बदलाव नहीं देखा गया। इसका मुख्य कारण यह है कि इन इलाकों में कूलिंग उपकरणों की पहुंच सीमित है या वे लोगों की आर्थिक क्षमता से बाहर हैं।
जलवायु परिवर्तन और गंभीर हो रहा
रिपोर्ट के प्रमुख विश्लेषक डॉ. मनीष राम के अनुसार, अध्ययन में बिजली खपत के वार्षिक पैटर्न की तुलना राज्यों में तापमान में होने वाले प्रति घंटे बदलाव से की गई, जिससे स्पष्ट हुआ कि बढ़ती गर्मी बिजली की मांग को बढ़ा रही है। यह केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अन्य देशों में भी देखा जा रहा है।
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