
इंदौर। बिजली कंपनी में सतर्कता (विजिलेंस) विभाग बिजली चोरी के 28 हजार पुराने प्रकरणों को समझौते के लिए लोक अदालत में रख रहा है। इस बार बिजली कंपनी की ओर से इंदौर-उज्जैन संभाग के सभी जिलों में कार्यपालन यंत्री को लोक अदालत के तहत बिजली प्रकरणों के समझौते के अधिकार दे दिए गए हैं। इससे ज्यादा प्रकरणों में समझौते के आसार नजर आ रहे हैं। बिजली कंपनी के सतर्कता विभाग के पास बिजली चोरी करने वाले 28000 हजार बकायादारों को लोक अदालत के तहत समझौते के नोटिस जारी किए गए हैं। इन उपभोक्ताओं से बिजली कंपनी को तकरीबन 100 करोड़ की राशि वसूलना है। इस बार लोक अदालत में बिजली कंपनी को ज्यादा प्रकरणों के निपटने के आसार लग रहे हैं। 8 मार्च को आयोजित होने वाली लोक अदालत की प्रभावी तैयारी की गई है।
इस लोक अदालत में 10 लाख रुपए तक के सिविल दायित्व के प्रकरणों में समझौता हो सकेगा, जबकि पहले यह छूट सिर्फ 50,000 रु. तक के प्रकरणों पर ही लागू थी। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 के तहत दर्ज बिजली चोरी एवं अनियमितताओं के प्रकरणों का समझौता होगा। प्री-लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में सिविल दायित्व की राशि पर 30 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत की छूट देंगे। इसी तरह लिटिगेशन स्तर के प्रकरणों में आंकलित सिविल दायित्व की राशि पर 20 प्रतिशत एवं ब्याज की राशि पर 100 प्रतिशत छूट मिलेगी। निर्धारित छूट के उपरांत शेष बिल आंकलित सिविल दायित्व, अपराध शमन राशि एवं ब्याज की राशि का एकमुश्त भुगतान करना होगा। लोक अदालत के दौरान छूट आवेदक द्वारा विद्युत चोरी व अनधिकृत उपयोग पहली बार किए जाने की स्थिति में ही दी जाएगी।
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