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अवैध बैनर देख नाराज हुए जस्टिस अभय ओका, बोले- हाई कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो रहा

March 09, 2025

नई दिल्‍ली । सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस अभय ओका (Justice Abhay Oka) ने अवैध रूप से बैनर (Banner) लगाए जाने की संस्कृति पर शनिवार को नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने पहले ही आदेश दिया है कि इन्हें प्रदर्शित करने के लिए पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है। न्यायमूर्ति ओका ने महाराष्ट्र के ठाणे जिले के मीरा भायंदर कस्बे में मजिस्ट्रेट अदालत के उद्घाटन के अवसर पर यह बात कही। उन्होंने कार्यक्रम में अनुशासन की कमी पर भी नाराजगी व्यक्त की और मीडिया प्रतिनिधियों व कुछ अन्य उपस्थित लोगों को धक्का-मुक्की करने के लिए फटकार लगाई।

जस्टिस ओका ने महाराष्ट्र सरकार से अधिक न्यायाधीशों की नियुक्ति करने और अदालतों में बुनियादी ढांचा और आधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम स्थल पर आते समय उन्होंने कार्यक्रम में मेहमानों के स्वागत के लिए लगाए गए कई बैनर देखे। एससी के जस्टिस ने कहा कि शुरू में उन्हें यह देखकर खुशी हुई, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि ये बैनर अवैध हैं। उन्होंने कहा, ‘बंबई हाई कोर्ट के एक फैसले में कहा गया कि बिना पूर्व अनुमति के कोई भी बैनर या होर्डिंग नहीं लगाया जाना चाहिए। इनमें से किसी भी होर्डिंग पर अनिवार्य अनुमति संख्या नहीं थी यानी वे अवैध थे।’


‘बैनर हटाने के लिए तत्काल की जाए कार्रवाई’
अभय ओका ने कहा कि स्थानीय नगर निकाय को ऐसे बैनर हटाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में पट्टिका के अनावरण के दौरान उन्होंने देखा कि अनियंत्रित भीड़ कई महिलाओं को धक्का दे रही थी। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान अनुशासनहीनता पर खेद व्यक्त करते हुए मीडिया प्रतिनिधियों और कुछ अन्य उपस्थित लोगों को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति ओका ने सवाल किया कि अगर भविष्य में ऐसी अनुशासनहीनता जारी रहती है तो क्या न्यायपालिका से संबंधित कार्यक्रमों में मीडिया प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘यह राजनीतिक कार्यक्रम या अभिनेताओं से जुड़ा कोई कार्यक्रम नहीं है। यह न्यायपालिका का कार्य है जिसमें अनुशासन अनिवार्य है। मीडिया पेशेवरों को ऐसे कार्यक्रमों के दौरान शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए।’

न्यायपालिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध
जस्टिस ओका ने कहा कि न्यायपालिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विशेष रूप से मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने महाराष्ट्र में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर बात करते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट की बुनियादी ढांचा समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल से जुड़े अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि कैसे प्रस्तावों को अक्सर देरी और नौकरशाही संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने एक उदाहरण दिया कि महाराष्ट्र सरकार ने अदालत भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी लेकिन न्यायिक प्रशासनिक भवन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया जबकि उसकी आवश्यकता थी। उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की इस घोषणा का स्वागत किया कि अतिरिक्त न्यायाधीशों के 2,000 पद सृजित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अब भी न्यायाधीशों की भारी कमी है। इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री शिंदे, बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक और अन्य गणमान्य लोग भी उपस्थित थे।

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