
मंडला। मध्य प्रदेश पुलिस (Madhya Pradesh Police) ने राज्य वन विभाग (State Forest Department) के दो अस्थायी मजदूरों के खिलाफ कठोर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) (Unlawful Activities Prevention Act (UAPA) लगाया है। दोनों को हाल ही में उनके कथित माओवादी संबंधों के लिए गिरफ्तार किया गया था। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों आरोपियों- अशोक कुमार वाल्को (28) और संतोष कुमार धुर्वे (28) को आदिवासी बहुल मंडला जिले में पुलिस और माओवादियों के बीच गोलीबारी के बाद रविवार को गिरफ्तार किया गया था। खटिया पुलिस थाने के इंस्पेक्टर कैलाश सिंह चौहान ने बताया, “कान्हा टाइगर रिजर्व (केटीआर) में अस्थायी मजदूर के रूप में काम करने वाले दो आदिवासी लोगों को नक्सलियों के साथ उनके संबंधों और उन्हें राशन की आपूर्ति करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।”
पुलिस अधिकारी ने बताया कि उन पर सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत दंगा करने के लिए यूएपीए की संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। वन कर्मचारियों के संघ, मध्य प्रदेश वन कर्मचारी संघ की मंडला इकाई के प्रमुख बलसिंह ठाकुर ने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए दोनों मजदूर निर्दोष हैं और उन्हें गलत तरीके से फंसाया गया है।
बलसिंह ठाकुर ने कहा, “हम जल्द ही मंडला के एसपी से मिलेंगे और उन्हें एक याचिका सौंपेंगे ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि निर्दोष आदिवासी मजदूरों को जेल से रिहा किया जाए।” पुलिस इंस्पेक्टर चौहान ने कहा कि 9 मार्च को उनकी गिरफ्तारी के बाद आरोपियों को एक अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें पूछताछ के लिए 3 दिन की पुलिस रिमांड पर भेज दिया और बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
केटीआर के डिप्टी डायरेक्टर पुनीत गोयल ने फोन पर बातचीत में बताया कि टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को अभी तक उनकी गिरफ्तारी के बारे में आधिकारिक तौर पर सूचित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “एक बार हमें सूचित कर दिया जाए, तो हम इस पर फैसला करेंगे।” अधिकारी ने कहा कि अन्य कामों के अलावा जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए पैदल गश्त में वन रक्षकों की सहायता के लिए स्थानीय गांवों से अस्थायी मजदूरों को काम पर रखा गया था।
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