
नई दिल्ली। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने बुधवार को एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि तकनीक सक्षम बना सकती है, लेकिन ये लोगों की जगह नहीं ले सकती। सीडीएस ने कहा कि देश इस समय असममित खतरों का सामना कर रहा है और देश में उप-परंपरागत तरह का संघर्ष देखने को मिल रहा है। रायसीना डायलॉग में एक चर्चा के दौरान सीडीएस ने कहा कि पश्चिम के वैश्विक युद्ध या आतंकवाद जैसे टर्म से बहुत पहले ही भारत ने ‘अपरंपरागत प्रकार का संघर्ष’ जैसी संज्ञा दे दी थी।
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि ‘भारत को देश के भीतर और बाहर दोनों जगह चुनौती मिल रही है। जहां तक इससे मिली सीख की बात है तो मुझे लगता है कि जमीन पर सैनिकों की मौजूदगी का कोई विकल्प नहीं है। तकनीक मदद कर सकती है, लेकिन ये लोगों की जगह नहीं ले सकती और ये बेहद अहम है।’ साथ ही उन्होंने युद्ध की तैयारियों को मजबूत करने और खुफिया विभाग को भी मजबूत करने की जरूरत बताई। सीडीएस चौहान ने कहा कि दुनिया में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। पहले परंपरागत युद्ध होते थे, लेकिन अब समय बदल गया है, लेकिन संघर्ष अभी भी जारी हैं। सेना को परंपरागत युद्ध के लिए तैयार करने के लिए साथ ही जो हाइब्रिड लड़ाई लड़ी जा रही है, उसके लिए तैयार करना भारत की सबसे बड़ी चुनौती है।
सीडीएस अनिल चौहान ने कहा कि एक बहुसांस्कृतिक, बहु-धार्मिक और बहु-जातीय समाज में भ्रामक सूचनाओं को रोकना भी एक बड़ी चुनौती है। हम इसे दिमागी लड़ाई कहते हैं। सीडीएस ने कहा कि जिस तेजी से तकनीक में बदलाव हो रहे हैं, उस तेजी से उसे अपने सिस्टम में लाना और लोगों को प्रशिक्षित करना भी एक बड़ी चुनौती है। अमेरिकी कंपनी जनरल एटोमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के सीईओ विवेक लाल ने कहा कि लगातार निगरानी करके संघर्षों को टाला जा सकता है। साथ ही उन्होंने सहयोगी देशों के बीच डेटा साझाकरण और मानव संसाधन को प्रशिक्षित करने को बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच संबंध काफी मजबूत हैं।
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