
नई दिल्ली । केंद्र सरकार(Central government) द्वारा आगामी जनगणना में जातिगत गणना(caste count in census) को शामिल करने की घोषणा(Announcement) के बाद देश की प्रमुख विपक्षी पार्टियां राजद, कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) ने इसे अपनी जीत बताया है। तमाम विपक्षी दल इसकी क्रेडिट ले रहे हैं। तेजस्वी यादव का कहना है कि यह समाजवादियों की जीत है। राजद नेता ने यह भी कहा कि यह उनकी पार्टी की 30 साल पुरानी मांग थी।
तेजस्वी यादव ने कहा, “यह लालू यादव और समाजवादियों की जीत है। पहले सभी पार्टियों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात कर यह मांग रखी थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था। अब सरकार को हमारी मांग माननी पड़ी, यह हमारी ताकत का परिणाम है।”
कांग्रेस ने भी ठोका दावा
कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, “हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। यह कांग्रेस की जीत है। आखिरकार मोदी सरकार को जाति जनगणना करानी ही पड़ी।” वहीं, कांग्रेस सांसद चामला किरण कुमार रेड्डी ने कहा कि यह पहल तेलंगाना से आई है, जहां हाल ही में जाति जनगणना की गई थी। उन्होंने कहा, “यह राहुल गांधी का सपना था। हम नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल का धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने इसे स्वीकार किया।”
समाजवादी पार्टी के भी अपने दावे
जाति जनगणना तो दलितों को पिछड़ों की जीत करार देते हुए सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने भी दावा किया कि यह फैसला समाजवादी पार्टी की लंबे समय से की जा रही मांग का परिणाम है।
सरकार ने विपक्ष पर साधा निशाना
केंद्र सरकार ने हालांकि इस फैसले को पारदर्शिता और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने के लिए जरूरी बताया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “जाति सर्वेक्षण को राजनीतिक उपकरण बनाकर पेश किया गया। कांग्रेस ने हमेशा जाति जनगणना का विरोध किया है। आज वही पार्टियां इसका श्रेय लेने की कोशिश कर रही हैं।”
उन्होंने कहा कि आजादी के बाद की किसी भी जनगणना में जाति को शामिल नहीं किया गया और अब इसे जनगणना प्रक्रिया का हिस्सा बनाना समाज के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को मजबूती देने में सहायक होगा।
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