img-fluid

चीन में सेना संकट से मचा हड़कंप! शी जिनपिंग की उड़ी रातों की नींद, क्यों कांप रहा ड्रैगन का सिंहासन?

May 01, 2025

नई दिल्ली । विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं,(Economies) अमेरिका(America) और चीन,(China) के बीच चल रहा टैरिफ युद्ध (Tariff war)न केवल वैश्विक व्यापार(Global Trade) को प्रभावित कर रहा है, बल्कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के लिए भी गंभीर चुनौतियां खड़ी कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीनी सामानों पर भारी-भरकम टैरिफ लगाए जाने के बीच, शी जिनपिंग की चिंताएं अब केवल आर्थिक नहीं रहीं, बल्कि राजनीतिक और सैन्य स्तर पर भी उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कहा जा रहा है कि इन दिनों शी जिनपिंग की रातों की नीदें उड़ गई हैं। हालांकि टैरिफ के अलावा, जिनपिंग की सबसे बड़ी चिंता उनके अपने सैन्य बलों और कम्युनिस्ट पार्टी के भीतर वफादारी और भ्रष्टाचार से संबंधित है।


वहीं अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इन दिनों वैश्विक सुर्खियों में हैं। मिशिगन में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए 78 वर्षीय ट्रंप ने दावा किया कि उनके प्रशासन के शुरुआती 100 दिन अमेरिकी इतिहास के “सबसे सफल” रहे हैं। उन्होंने चीन पर आर्थिक हमला तेज करते हुए कहा कि बीजिंग “हमसे 1 ट्रिलियन डॉलर सालाना लूट रहा था” और अब अमेरिका ऐसा नहीं होने देगा।

ट्रंप ने अमेरिकी मीडिया को बताया, “चीन शायद उन टैरिफ्स की कीमत चुका ही देगा। उन्होंने हमें पहले जैसा लूटा है, अब वो नहीं हो रहा।” ट्रंप की इस टैरिफ नीति ने जहां अमेरिका में आर्थिक शक्ति के प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं यूरोप और एशिया के देशों में इसकी गूंज डर और रणनीतिक तैयारी के रूप में महसूस की जा रही है।

बीजिंग में अंदरूनी संकट गहराया

ट्रंप की आक्रामक विदेश नीति और व्यापार युद्ध के बावजूद, चीन के सर्वोच्च नेता शी जिनपिंग की सबसे बड़ी चिंता न तो अमेरिका है और न ही वैश्विक दबाव। The Economist की एक रिपोर्ट के अनुसार, शी जिनपिंग को सबसे अधिक चिंता अपनी ही सेना और पार्टी की विश्वसनीयता को लेकर है।

पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) इस समय अपने इतिहास की सबसे बड़ी अंदरूनी जांच और शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजर रही है। कई वरिष्ठ सैन्य अधिकारी लापता हो चुके हैं, कुछ को हटा दिया गया है, और यहां तक कि जिन अधिकारियों को शी का करीबी और वफादार माना जाता था, वे भी इस अभियान की चपेट में आ गए हैं।

शी जिनपिंग को अपनी ही सेना पर नहीं रहा भरोसा

मार्च में PLA के तीसरे सबसे वरिष्ठ अधिकारी और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के उपाध्यक्ष जनरल हे वेइदोंग अचानक सार्वजनिक जीवन से गायब हो गए। उन्होंने अप्रैल के महत्वपूर्ण सरकारी आयोजनों में भाग नहीं लिया। इससे पहले, रक्षा मंत्री ली शांगफु और वेई फेंगहे को भी हटा दिया गया था। रॉकेट फोर्स के प्रमुखों को भ्रष्टाचार के आरोपों में हटाया गया और कुछ पर जांच चल रही है।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ मिसाइलों में ईंधन की जगह पानी भरे होने और सिलो निर्माण के लिए दी गई धनराशि के गबन जैसे गंभीर आरोप सामने आए हैं। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि इस तरह की कार्रवाईयों से PLA की युद्ध क्षमता कमजोर हो रही है और सेना के भीतर मनोबल गिरा है।

सत्ताधारी दल में बढ़ता अविश्वास

जनवरी 2025 में शी ने पार्टी के उच्च अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि “बाहरी वातावरण और पार्टी के भीतर परिवर्तन से अनेक टकराव और समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।” यह बयान स्पष्ट करता है कि उनका आंतरिक युद्ध अभी खत्म नहीं हुआ है।

अब यह अभियान केवल सैन्य आपूर्ति विभाग तक सीमित नहीं है, बल्कि राजनीतिक और वैचारिक शाखाओं को भी अपनी चपेट में ले रहा है। इसका मतलब साफ है- शी को लगता है कि सेना केवल प्रणालीगत रूप से नहीं, बल्कि वैचारिक रूप से भी भ्रष्ट हो चुकी है।

2027 की तैयारी और शी की बेचैनी

शी जिनपिंग की चिंता केवल वर्तमान स्थिति तक सीमित नहीं है। 2027 में कम्युनिस्ट पार्टी की अगली कांग्रेस प्रस्तावित है, जहां शी चौथी बार अध्यक्ष बनने की तैयारी में हैं। इसके लिए उन्हें चीन को एक स्थिर और शक्तिशाली देश के रूप में पेश करना होगा। लेकिन सेना की अस्थिरता और पार्टी में उठते सवाल उनके इस लक्ष्य को कठिन बना सकते हैं।

चूंकि शी ने अब तक किसी उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया है, इसलिए पार्टी के भीतर सत्ता के लिए खेमेबाजी शुरू हो गई है। इसके चलते वफादारी की कसौटी और भी कठोर होती जा रही है और अस्थिरता का खतरा बढ़ता जा रहा है।

चीन का जवाब: प्रचार और कूटनीति

चीनी सरकारी मीडिया इस समय अपने पूरे जोर पर है, शी को दक्षिण-पूर्व एशिया के दौरे पर दिखाया जा रहा है जहां वे “क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण” और “बहुपक्षीयता” की बात कर रहे हैं। जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा द्वारा भेजे गए व्यापारिक संबंधों को स्थिर बनाए रखने वाले पत्र को भी चीन ने प्रमुखता से प्रचारित किया।

हालांकि चीन की पहली तिमाही में 5.4% की विकास दर दर्ज की गई है, लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह अस्थायी है। UBS का अनुमान है कि 2026 तक यह दर घटकर 3.4% तक आ सकती है। मॉर्गन स्टेनली के एक सर्वे में 44% शहरी चीनी नागरिकों ने नौकरी जाने का डर जताया- यह आंकड़ा महामारी के समय के बाद सबसे अधिक है।

ट्रंप के टैरिफ और बाहरी दुश्मन

ट्रंप ने चीनी सामानों पर 245% तक टैरिफ लगाकर आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। यह कदम न केवल चीन की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रहा है, बल्कि शी जिनपिंग को एक बाहरी दुश्मन के रूप में प्रस्तुत करने का अवसर भी दे रहा है। ट्रंप ने दावा किया है कि बीजिंग को इन टैरिफ की कीमत चुकानी होगी, और यह उनकी “सबसे सफल प्रथम 100 दिनों” की नीति का हिस्सा है। दूसरी ओर, चीनी सरकारी मीडिया ट्रंप के संरक्षणवादी रुख के खिलाफ क्षेत्रीय एकीकरण और बहुपक्षीयता को बढ़ावा देने के लिए शी जिनपिंग की छवि को मजबूत कर रहा है।

आर्थिक दबाव और जनता की नाराजगी

चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही मंदी का सामना कर रही है। निर्यात पर निर्भर इस अर्थव्यवस्था के लिए अमेरिकी बाजार तक पहुंच कम होना एक बड़ा झटका है। साथ ही, घरेलू बाजार की कमजोरी और प्रॉपर्टी सेक्टर की खराब स्थिति ने शी जिनपिंग के सामने नई चुनौतियां खड़ी की हैं। शहरी मध्यम वर्ग की बढ़ती अपेक्षाएं और बेरोजगारी की आशंका जनता में असंतोष को बढ़ा सकती है, जो कम्युनिस्ट पार्टी की वैधता के लिए खतरा बन सकता है।

Share:

  • ईरान से बोला अमेरिका, तुम जानते हो हमारी सेना क्या कर सकती है

    Thu May 1 , 2025
    तेहरान। अमेरिका ने ईरान को कड़ी चेतावनी (America’s warning to Iran) जारी करते हुए कहा है कि अगर वह यमन के हूती विद्रोहियों (Houthi Rebels) को समर्थन देना जारी रखता है, तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। यह चेतावनी अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ (Pete Hegseth) ने दी। उन्होंने ईरान पर हूती विद्रोहियों को घातक […]
    सम्बंधित ख़बरें
    लेटेस्ट
    खरी-खरी
    का राशिफल
    जीवनशैली
    मनोरंजन
    अभी-अभी
  • Archives

  • ©2025 Agnibaan , All Rights Reserved