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Ground Zero : आशियाने उजड़े, कई नागरिक घायल भी…पर हिम्मत नहीं टूटी; लोगों ने कहा-कड़ी कार्रवाई करें

May 09, 2025

नई दिल्‍ली । रिहायशी इलाकों(Residential areas) को निशाना बनाकर पाकिस्तान(Pakistan) की ओर से हो रही गोलीबारी के शिकार(shooting victims) घायल दर्द में हैं। किसी को पीठ तो किसी को पैर, बाजू और टांगों में गंभीर चोटें लगी हैं। दर्द से कराहते हुए जब वे आपबीती सुनाते हैं, तब उस भयानक मंजर का अहसास होता है। मंगलवार और बुधवार की रात मौत के गोलों का सामना करने और दर्द में होने के बावजूद उनका जज्बा कम नहीं हुआ है। उनका कहना है कि पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोषों को न्याय मिला है। हमारे जख्म उन मृतकों के परिवार के दुख के आगे कुछ नहीं हैं। पाकिस्तान से चल रहे आतंकी ठिकानों पर हमला कर हमारे सुरक्षाबलों ने देश के हर नागरिक को गर्व की अनुभूति कराई है।


पाकिस्तान को जख्म मिले, उसे सबक सिखाना ही चाहिए। गोलाबारी में घायल नौ लोगों को राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू में भर्ती कराया गया है। इनमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान लाल शर्मा भी हैं। उन्होंने बताया कि गोलाबारी शुरू हुई तो वह कृष्णा घाटी कुंज में ड्यूटी पर तैनात थे। गोले इतने ज्यादा गिर रहे थे कि खुद को बचा पाना बड़ी चुनौती था। पाकिस्तानी गोला चीड़ के पेड़ पर गिरा, जिसकी चपेट में मैं भी आ गया और मेरे पैर में चोटें लगीं। पुलिस में तैनात अशोक कुमार के पैर में गंभीर चोटें आई हैं। उन्होंने बताया कि गोले बारिश की तरह गिर रहे थे। मौत सामने दिख रही थी। ईश्वर की कृपा से जान बच गई। पाकिस्तान की हमेशा से आदत रही है इस तरह रिहायशी इलाकों को निशाना बनाने की।

जवान भाइयों का साहस देख डर नहीं लगा

28 साल के शोभित टंडन बताते हैं कि जहां देखो, वहीं गोले गिर रहे थे। एक गोला घर के अंदर गिरा, जिससे पूरा घर क्षतिग्रस्त हो गया। मुझे पीठ और हाथ में गंभीर चोटें आईं। मौत सिर पर मंडरा रही थी, पर याद आया कि हमारे सैनिक भाई सरहद पर हैं। उनके साहस ने मुझे हौसला दिया। पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। भारत को और आक्रामक होकर कार्रवाई करनी चाहिए। बिहार निवासी रवि कुमार पुंछ में एनजीओ में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि पहली बार इस तरह का मंजर देखा है।

अखनूर : गांव वालों में डर नहीं, बरत रहे सतर्कता

अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बसे अखनूर सेक्टर के गांव गड़खाल में माहौल जरूर तनावपूर्ण है, पर ग्रामीणों के हौसले पूरी तरह बुलंद हैं। शाम होते ही बाजार बंद हो रहे हैं। अंधेरा होते ही घरों की लाइटें बुझा दी जा रही हैं। बावजूद इसके, गांव वालों में डर नहीं, बल्कि सतर्कता और संयम देखने को मिल रहा है। गांव के कई लोग अपने परिवारों को सुरक्षित स्थानों की ओर भेज चुके हैं। बुजुर्गों ने जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली है।

शमशेर सिंह, कुलदीप सिंह, ओमप्रकाश, दुर्गादास और मास्टर मिल्खी राम जैसे वरिष्ठ नागरिकों ने तय किया है कि वे गांव में रहकर अपने घर और पशुधन की रक्षा करेंगे। दिन भर ये लोग चौक-चौराहों पर एकत्र होकर परिस्थिति की गंभीरता पर चर्चा करते हैं और एक-दूसरे को साहस बंधाते हैं। पब्लिक ट्रांसपोर्ट फिलहाल बंद है, लेकिन प्रशासन पूरी तरह सतर्क है।

युवा बोले-सुरक्षाबलों पर पूरा भरोसा

आयुष सिंह का कहना है कि कॉलेज बंद होने से पढ़ाई प्रभावित हो रही है, लेकिन इस समय प्राथमिकता सुरक्षा है। सेना की कार्रवाई देश की रक्षा और सम्मान के लिए है। हमें पाकिस्तान के जवाब की चिंता नहीं। भरोसा है हमारे सुरक्षाबल हर स्थिति से निपटने में सक्षम हैं।

तंगधार : सैकड़ों घरों और दुकानों को नुकसान

पाकिस्तानी सेना ने बुधवार देर रात भी पीओके से तंगधार और उड़ी सेक्टर में गोलाबारी की। गोलाबारी के दौरान लोग बंकरों में छिपे थे। सुबह जब निकले, तो अपने उजड़े आशियाने देखकर पाकिस्तान को जमकर कोसा। स्थानीय निवासियों ने कहा कि धमाकों की आवाज से वह सिहरते रहे। जान किसी तरह बची है। उड़ी सेक्टर के सीमा से लगे गांवों में कई घर क्षतिग्रस्त हो गए। तंगधार में अधिकतर लोग सुरक्षित स्थानों पर चले गए हैं।

मंगलवार की गोलाबारी में कुपवाड़ा के तंगधार क्षेत्र में करीब 100 मकान, दुकानें क्षतिग्रस्त हुए थे। करीब 40 वाहनों को भी नुकसान पहुंचा था। सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने शमसपोरा, बागबेला, त्रिबुनि, दिलदार, भटपोरा, नवगाबरा जैसे नागरिक इलाकों को निशाना बनाया। त्रिबुनि में सीधे हमलों से आग लगने के बाद कई घर पूरी तरह जल गए। परमेंदर सिंह ने बताया कि उनके मोहल्ले के 10 घर पूरी तरह जल गए हैं।

रात एक बजे शुरू हुई गोलाबारी सुबह 5:30 बजे तक जारी रही। तारिक अहमद ने बताया कि हमले में उनका घर क्षतिग्रस्त हो गया। उन्होंने कहा कि गोलाबारी के धमाकों से हमारा घर हिल रहा था। हम मुश्किल से बचे। तहसीलदार करनाह मो. अमीन भट का कहना है कि हम नुकसान का आकलन कर रहे हैं। अस्थायी आश्रय स्थल बनाए गए हैं, जहां लोगों को भेजा गया है। बाकी को भी भेजा जा रहा है।

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