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अब भी अधूरा है रतन टाटा का सपना, Tata Nano के साथ करना चाहते थे ये काम

May 21, 2025

डेस्क: ‘टाटा’ को एक ग्लोबल ब्रांड बनाने वाले रतन टाटा भले आज हमारे बीच से चले गए हों, लेकिन उनकी विजनरी सोच से पैदा हुई कई कंपनियां और प्रोडक्ट लोगों के जीवन का हिस्सा है. फिर वह चाहे टीसीएस जैसी ग्लोबल कंपनी बनाना हो, टाटा मोटर्स को ट्रक बनाने वाली कंपनी से पैसेंजर व्हीकल कंपनी में कन्वर्ट करना हो या आम आदमी की जरूरत को ध्यान में रखकर Tata Nano जैसी ड्रीम कार बनाना हो. वैसे इन सबके बावजूद रतन टाटा का एक सपना अब भी अधूरा है.

रतन टाटा अपनी ड्रीम कार टाटा नैनो को इतना पंसद करते थे कि वह इसे भविष्य की कार के तौर पर डेवलप करना चाहते थे. अपने जीवन के आखिरी समय में भी रतन टाटा इस कार से अक्सर घूमा करते थे, जबकि वह चाहते तो आराम से जगुआर लैंड रोवर (टाटा ग्रुप की ही कंपनी) की कार में घूम सकते थे. अपने आखिरी कालखंड में भी इस को फ्यूचर कार में बदलने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे.

रतन टाटा के लिए नैनो एक बेहतरीन कम्युटर व्हीकल थी, इसलिए वह इस कार को भविष्य की दुनिया के लिए इलेक्ट्रिक कार में कन्वर्ट करने पर काम कर रहे थे. उन्हें ये भरोसा था कि आने वाले सालों में दुनिया इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर ही चलना शुरू कर देगी. इसलिए उन्होंने इस प्रोजेक्ट को Neo EV का नाम दिया था.


टाटा नैनो को इलेक्ट्रिक व्हीकल में कन्वर्ट करने का प्रोजेक्ट रतन टाटा ने 2015 के आसपास ही शुरू कर दिया था. वह इसे दो वैरिएंट में उतारने के पक्ष में थे. एक सिटी टूर रेंज यानी कम बैटरी पैक के साथ, दूसरा लॉन्ग रूट वैरिएंट, मतलब की थोड़ी ज्यादा दूर तक जाने वाली इलेक्ट्रिक कार. रतन टाटा इसके लिए कोयंबटूर में एक स्टार्टअप कंपनी के साथ मिलकर काम कर रहे थे. इससे जुड़ा एक किस्सा ओला इलेक्ट्रिक के भाविश अग्रवाल से भी कनेक्टेड है.

रतन टाटा के निधन पर ओला इलेक्ट्रकि के फाउंडर भाविश अग्रवाल ने एक किस्सा शेयर किया था. उन्होंने कहा कि 2015 में रतन टाटा ने उनसे मुलाकात की और उनकी कंपनी में निवेश किया. इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर वह काफी कौतूहल से भरे रहते थे. साल 2017 में एक बार उन्हें रतन टाटा ने कॉल करके मुंबई बुलाया. बाद में वह उन्हें अपने प्लेन में कोयंबटूर ले गए.

भाविश अग्रवाल ने बताया कि रतन टाटा ने उनसे सिर्फ इतना कहा कि वह मुंबई आ जाएं, जहां से वह उन्हें एक नई जगह पर ले जाना चाहते हैं. कोयंबटूर में टाटा नैनो को इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने के उनके पर्सनल प्रोजेक्ट पर काम चल रहा था. भाविश अग्रवाल का कहना है कि असल में ‘Ola Electric’ की शुरुआत उसी दिन हुई थी.

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