
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने शनिवार (24 मई, 2025) को संसदीय समिति को बताया कि सिंधु जल संधि को स्थगित करने का भारत का फैसला, मित्रता और सद्भावना सहित समझौते को दिशा-निर्देशित करने वाले सिद्धांतों को पाकिस्तान की ओर से स्थगित किए जाने का स्वाभाविक नतीजा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि इंजीनियरिंग तकनीक, जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियरों के पिघलने सहित जमीनी हालात में हुए बदलावों ने संधि की शर्तों पर फिर से बातचीत करना अनिवार्य बना दिया है.
सूत्रों ने बताया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद समझौते को स्थगित करने के भारत के निर्णय का बचाव करते हुए दुनिया की राजधानियों का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल भी इसी दिशा में आगे बढ़ेंगे. इसके अलावा विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने अपनी ब्रीफिंग में कहा है कि 1960 की संधि की प्रस्तावना में कहा गया है कि इसे सद्भावना और मित्रता की भावना के तहत संपन्न किया गया है. उन्होंने कहा कि वास्तव में पाकिस्तान ने इन सभी सिद्धांतों को स्थगित कर दिया है.
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