
इंदौर मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र के नामकरण से भाजपा दूर
प्रदेश कैबिनेट (State Cabinet) की इंदौर (Indore) में आयोजित की गई बैठक में इंदौर और भोपाल मेट्रोपॉलिटन सिटी (Metropolitan City) के लिए एक्ट को मंजूरी दे दी गई है। इसके साथ ही इन दोनों महानगरीय क्षेत्र का दायरा भी निश्चित हो गया है। जैसी खबरें इस समय सोशल मीडिया पर चल रही हैं उनके अनुसार राज्य सरकार इंदौर के महानगरीय क्षेत्र का नामकरण अवंतिका महानगरीय क्षेत्र के रूप में करना चाहती है। इस खबर की अभी कहीं से कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इस बारे में जब पिछले दिनों शहर भाजपा अध्यक्ष सुमित मिश्रा से पूछा गया तो यह सवाल उनके गले में अटक गया। अपने आपको बचाते हुए उन्होंने इतना ही कहा कि यह राज्य सरकार का मुद्दा है और राज्य सरकार ही तय करेगी कि इंदौर के महानगरीय क्षेत्र की अथॉरिटी का नाम क्या हो? इस बारे में संगठन अलग है और संगठन की ओर से मैं कुछ नहीं कहना चाहता हूं। उनका जवाब सरकार की हां में हां मिलाने वाला था…
जंगल में मोर नचाओ कोई फर्क नहीं पड़ेगा
पुरानी कहावत है जंगल में मोर नाचा किसने देखा… इस कहावत को चरितार्थ करने का बीड़ा कांग्रेस ने उठाया है। कांग्रेस द्वारा इंदौर में जय हिंद तिरंगा यात्रा निकालने का ऐलान किया गया है। इस यात्रा को निकालते समय कांग्रेस के नेताओं को सबसे ज्यादा चिंता इसी बात की है कि भीड़ कहां से आएगी। पिछले दिनों भाजपा ने पर्दे के पीछे रहकर तिरंगा यात्रा निकलवाई थी। उसमें मुख्यमंत्री की उपस्थिति के साथ ही भारी भीड़ भी जमा हो गई थी। ऐसे में अब यदि कांग्रेस की यात्रा निकलती है तो दोनों यात्राओं की भीड़ के आधार पर तुलना की जाएगी। इस स्थिति को देखते हुए कांग्रेस के समझदार नेताओं ने फैसला लिया कि हम यात्रा मधुमिलन चौराहे से निकालकर गीता भवन चौराहे तक ले जाएंगे। इन दोनों चौराहों का रास्ता ऐसा है कि वहां पर न तो ज्यादा दुकानें हैं और न ही कोई बहुत घना यातायात है। ऐसे में भीड़ कम भी रहेगी तो धक जाएगा। इसे कहते हैं अकल का काम…
महापौर परिषद से महापौर के लिए मुश्किल….
महापौर पुष्यमित्र भार्गव की राह में उनकी अपनी महापौर परिषद के सदस्य ही ऐसी समस्या पैदा कर देते हैं कि फिर महापौर को जवाब देना मुश्किल हो जाता है। पहले महापौर ने सराफा से चाट चौपाटी को हटाने के मामले को लेकर महापौर परिषद के सदस्यों की एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट महापौर को देने के साथ ही मीडिया को बता दिया कि हमने तो इस चौपाटी को हटाने की अनुशंसा की है। अब मुश्किल महापौर की हो गई। इस चौपाटी को तो आज तक नहीं हटाया गया, लेकिन रिपोर्ट को लीक कर देने के कारण इसे अभी तक महापौर परिषद की बैठक में भी नहीं रखा गया। यह इतिहास एक बार फिर दोहरा गया। इस बार महापौर ने गणेशगंज में निगम के अधिकारियों द्वारा बदले की कार्रवाई करते हुए एक मकान को सील करने के मामले की जांच के आदेश दिए। इस जांच का कार्य महापौर परिषद के सदस्यों को सौंपा गया। इस जांच कमेटी के सदस्य निरंजनसिंह चौहान गुड्डू, राजेश उदावत और नंदकिशोर पहाडिय़ा ने जिस दिन रिपोर्ट सौंपी उसी दिन हल्ला मचा दिया कि हमने अधिकारियों को दोषी ठहरा दिया है। अब महापौर फिर संकट में हैं। इस कमेटी की अनुशंसा के आधार पर अधिकारी को हटा पाना भी संभव नहीं है और न ही हटाने के लिए कोई कारण भी नहीं है। ऐसे में अब नजर इस बात पर है कि क्या पुराना इतिहास दोहराया जाएगा…
निगम में नेता अधिकारी साथ-साथ हंै
नगर निगम में पिछले दिनों किसी की संपत्ति कर की रसीद पर किसी का नक्शा मंजूर किए जाने का मामला सामने आया था। इस मामले के सामने आने के बाद निगम की नेता नगरी सक्रिय हो गई थी। कुछ नक्शा मंजूर करने वाले इंजीनियरों के लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई हुई और पूरे मामले पर मिट्टी डालने का अभियान शुरू हो गया। गलत दस्तावेजों पर गलत नक्शे मंजूर करने वाले किसी इंजीनियर पर कार्रवाई की गाज नहीं गिराई गई। सारे इंजीनियर अपने हित साधकर गलत नक्शा मंजूर करने के बाद भी मस्ती में हैं और वे नेता खामोश हैं, जो कार्रवाई की आवाज उठा रहे थे। अब समझने वाले तो सब समझते हैं कि आखिर आवाज बंद क्यों होती है…
कांग्रेस के नेताओं की नेतागीरी खतरे में…
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा मध्यप्रदेश में सृजन अभियान लागू करते हुए प्रदेश के हर जिले के लिए पर्यवेक्षक बना दिया गया है। इस पर्यवेक्षक की अनुशंसा के आधार पर जिला और शहर कांग्रेस के अध्यक्ष की नियुक्ति होगी। दिल्ली से उठाए गए इस कदम के कारण मध्यप्रदेश के कांग्रेस नेताओं की नेतागीरी खतरे में पड़ गई है। अभी तक जिस नेता की चल जाती थी वह नेता अपने अयोग्य समर्थक को भी बड़े पद पर बैठा देता था। अब इस नई व्यवस्था में कांग्रेस का दावा है कि कोई भी नेता अपने समर्थन की पैराशूट एंट्री नहीं करा सकेगा। यदि ऐसा हो गया तो कांग्रेस का संगठन खड़ा हो जाएगा और दूसरे तरफ नेताओं के पास से चमचागीरी करने वालों की भीड़ समाप्त हो जाएगी। जब नेता कुछ भला करने की स्थिति में ही नहीं रहेगा तो फिर कोई भला जाकर क्यों चमचागीरी करेगा…?
मंदसौर की घटना और महिला सशक्तिकरण
लोकमाता देवी अहिल्याबाई की 300वीं जयंती के मौके पर भाजपा द्वारा बहुत सारे कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। इसमें खासतौर पर महिला सशक्तिकरण सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है। इस सम्मेलन को लेकर जब भाजपा के नेता बात करते हैं तो कहीं न कहीं से आवाज मंदसौर में भाजपा नेता के वायरल हुए वीडियो की आ जाती है। यह ऐसा मामला है, जो भाजपा नेताओं की बोलती को बंद कर रहा है। इस मामले से भाजपा के नेता बचने की कोशिश कर रहे हैं और मामला है कि हर दिन तूल पकड़ता जा रहा है…
10 लाख का क्या हुआ…?
इंदौर नगर निगम द्वारा 1 जून को इंदौर की स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों की श्रृंखला में मेरे घर राम आएंगे भजन के साथ फैमस हुए जुबिन नौटियाल के कार्यक्रम का आयोजन नेहरू स्टेडियम में किया जा रहा है। निगम की ओर से जैसे ही इस कार्यक्रम की घोषणा की गई वैसे ही शहर में चर्चा शुरू हो गई कि पिछली बार निगम ने अपने कार्यक्रम के लिए कुमार विश्वास को बुक किया था। उस समय पर एडवांस के रूप में कुमार विश्वास को 10 लाख रुपए दिए गए थे। उनके कार्यक्रम को अंतिम समय पर स्थगित करना पड़ा था। अब ऐसे में प्रश्न यह है कि 10 लाख रुपए का क्या हुआ…?
डा. जितेन्द्र जाखेटिया
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved