
नई दिल्ली । देश के 5 सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank Of India), पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank), बैंक ऑफ बड़ौदा (बैंक ऑफ बड़ौदा ) और दो अन्य मिलकर एक नई योजना बना रहे हैं। वे चाहते हैं कि 5 करोड़ रुपये से कम के छोटे रिटेल लोन्स और छोटे-मझोले व्यापारों के MSME लोन्स की वसूली के लिए एक अलग अलायंस बनाया जाए। इस कंपनी का काम सिर्फ इन लोन की रकम वसूल करना होगा।
एक रिपोर्ट के मुताबिक यह काम ‘पीएसबी एलायंस प्राइवेट लिमिटेड’ नाम की एक मौजूदा संस्था के जरिए किया जाएगा। जानकारी वाले लोग बताते हैं कि पहले यह एलायंस इस पूरी प्रक्रिया का खाका तैयार करेगा (प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट बनाएगा)। शुरुआत में ये पांच बैंक ही इस प्रोजेक्ट में होंगे, बाद में दूसरे सरकारी बैंक भी इसमें शामिल हो जाएंगे।
एक वरिष्ठ बैंक अधिकारी ने बताया कि इस साझा कंपनी के बन जाने से बैंकों को कई फायदे होंगे…
1. बैंक अपने मुख्य बैंकिंग कामों पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे।
2. जब एक ही उधारकर्ता के अलग-अलग बैंकों से कई ऋण होते हैं, तो उनकी वसूली करना आसान हो जाएगा।
3. यह कंपनी ‘नेशनल एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड’ (NARCL) जैसी ही होगी। एक बार तैयार होने के बाद सभी सरकारी बैंक इसमें हिस्सेदारी लेंगे।
यह एक तरह का ‘पहला कदम’
एक अन्य बैंक अधिकारी ने कहा कि अभी सिर्फ तीन-चार सरकारी बैंक ही अपने छोटे ऋणों की वसूली का काम किसी बाहरी एजेंसी को देते हैं। यह नई साझा वसूली कंपनी एक तरह का ‘पहला कदम’ हो सकती है। अगर इसके जरिए भी ऋण वसूल नहीं हो पाता, तो फिर उस खाते को NARCL जैसी ‘एसेट रिकन्स्ट्रक्शन कंपनी’ (ARC) को भेजा जा सकता है। इससे बैंक बड़े ऋणों की वसूली पर ज्यादा ध्यान दे पाएंगे।
टॉप-20 सबसे बड़े डूबे हुए लोन्स की करें समीक्षा
वित्त मंत्रालय ने भी बैंकों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने टॉप-20 सबसे बड़े डूबे हुए लोन्स (NPA) की नियमित समीक्षा करें। साथ ही, जिन खातों के निपटारे का प्रस्ताव लेनदारों की समिति (कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स) के पास तीन महीने से अधिक समय से लंबित है, उन पर भी नजर रखें।
पीएसबी एलायंस के एक अधिकारी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह नई वसूली कंपनी इसी वित्तीय वर्ष (मार्च 2026 खत्म होने वाला साल) के दौरान पूरी तरह से काम करना शुरू कर देगी। पीएसबी एलायंस खुद सरकारी बैंकों द्वारा बनाई गई एक कंपनी है जो उन्हें साझा सेवाएं देती है। वे बैंकों के साथ मिलकर कुछ और नई पहल भी कर रहे हैं। बैंकों की ओर से इस खबर पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं मिल सकी है।
सरकार बैंकों के सुधार कार्यक्रम ‘ईएएसई रिफॉर्म्स’ (Enhanced Access and Service Excellence Reforms) के तहत भी उन्हें आपस में ज्यादा सहयोग करने, साझा सुविधाएं बनाने और अपना प्रदर्शन व प्रतिस्पर्धा बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित कर रही है। पहले से ही बैंक ‘बैंकनेट’ (एक नीलामी प्लेटफॉर्म), ‘डोरस्टेप बैंकिंग’ और सरकारी बैंकों के लिए एक साझा ‘क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर’ जैसी साझा सेवाओं पर मिलकर काम कर रहे हैं।
एनपीए 2.94 लाख करोड़ रुपये
केयर रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 31 मार्च 2025 को खत्म हुए साल में सरकारी बैंकों के कुल डूबे हुए ऋण (ग्रॉस एनपीए) में पिछले साल की तुलना में 17% की अच्छी-खासी गिरावट आई है। यह घटकर लगभग 2.94 लाख करोड़ रुपये रह गए।
हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल के आखिरी तीन महीनों (जनवरी-मार्च 2025) में नए डूबे हुए ऋणों (फ्रेश स्लिपेजेस) की रकम पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 7.8% बढ़कर 25,000 करोड़ रुपये हो गई।
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