
नई दिल्ली । तेलंगाना(Telangana) में एससी गुरुकुल(SC Gurukul) स्कूलों के छात्रों के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी(Alleged offensive comment) को लेकर विवाद गहराता(The controversy deepens) जा रहा है। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस मुद्दे पर संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। आयोग ने IAS अधिकारी डॉ. वी एस आलागु वर्षिणी के खिलाफ की गई शिकायत पर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है।
तेलंगाना सोशल वेलफेयर रेसिडेंशियल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन्स सोसायटी (TGSWREIS) की सचिव डॉ. आलागु वर्षिणी एक ऑडियो क्लिप को लेकर विवादों में घिर गई हैं। इस वायरल क्लिप में उन्होंने निर्देश दिया कि गुरुकुल स्कूलों के छात्रों से शौचालय और हॉस्टल के कमरे साफ करवाए जाएं। यह घटना करीब एक सप्ताह पुरानी बताई जा रही है।
ऑडियो में वह कहती हैं, “उन्हें (छात्रों को) कमरे की सफाई करनी चाहिए … वे अपने शौचालयों की सफाई क्यों नहीं कर सकते … ये छात्र पॉश परिवारों से नहीं हैं, जहां जैसे ही वे जाते हैं और बैठते हैं, भोजन मेज पर आ जाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि छात्रों को आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है, क्योंकि स्कूल छोड़ने के बाद उन्हें अपने दैनिक कार्य स्वयं करने होंगे।
विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति
इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए भारत राष्ट्र समिति (BRS) के नेता और TGSWREIS के पूर्व सचिव डॉ. आर. एस. प्रवीन कुमार ने मुख्यमंत्री से पूछा, “क्या आपके बच्चे भी उस स्कूल में बाथरूम धोते हैं जहां वे पढ़ते हैं?” उन्होंने आरोप लगाया कि यह आदेश दलित छात्रों के प्रति भेदभावपूर्ण है और उन्होंने अधिकारी को बर्खास्त करने की मांग की।
BRS की एमएलसी और पूर्व सांसद कलवकुंतला कविता ने X पर ऑडियो क्लिप शेयर करते हुए कांग्रेस सरकार पर हमला बोला। उन्होंने लिखा, “कांग्रेस सरकार का गरीब विरोधी रवैया इस अधिकारी के व्यवहार में साफ दिखता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि BRS शासन के दौरान प्रत्येक स्कूल को सफाई कर्मचारियों की अस्थायी नियुक्ति के लिए 40,000 रुपये प्रति माह दिए जाते थे, जिसे कांग्रेस सरकार ने मई से बंद कर दिया है।
कविता का आरोप
कविता ने यह भी कहा कि राज्य की 240 गुरुकुल स्कूलों से सहायक वार्डन हटा दिए गए हैं, जिससे छात्रों को ही रसोई और साफ-सफाई का जिम्मा उठाना पड़ रहा है। उन्होंने इसे बच्चों के अधिकारों और सम्मान के खिलाफ बताया और कहा कि यह रवैया “जातिगत भेदभाव और शोषण” को बढ़ावा देता है।
IAS अधिकारी ने दी सफाई
विवाद बढ़ने के बाद एक अन्य ऑडियो में IAS अधिकारी वर्षिणी ने मीडिया से अपील की कि उनके बयान को राजनीतिक रंग न दिया जाए और संदर्भ से बाहर न निकाला जाए। उन्होंने कहा कि सफाई कर्मियों की कमी का आरोप निराधार है। वर्षिणी ने कहा, “घर में माता-पिता की मदद करना बच्चों की सामान्य दिनचर्या का हिस्सा है, इससे उनमें आत्मनिर्भरता आती है।” उन्होंने आगे कहा, “अगर आप विदेश जाएं या किसी अन्य राज्य में पढ़ाई करें, तो अपने काम खुद करना पड़ता है- जैसे कि कमरा साफ करना, कपड़े धोना, बाथरूम साफ करना। बच्चों के लिए यह बदलाव एक प्रक्रिया है और इसे अपनाने में समय लगता है।”
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved