
वॉशिंगटन. अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (President Donald Trump) की ओर से लॉस एंजेलिस (los angeles) में 2,000 नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का फैसला असहमति और विरोध-प्रदर्शनों पर ‘गहरा असर’ डाल सकता है. यह तैनाती उस समय की गई जब आव्रजन (Immigration) छापों के बाद संघीय एजेंसियों का प्रदर्शनकारियों से टकराव हुआ. रविवार (8 जून) को न्यूज एजेंसी से बात करते हुए एक विश्लेषक ने यह बात कही. प्रदर्शनों के बाद पुलिस और फेडरल बॉर्डर पेट्रोल एजेंट्स की कुछ प्रदर्शनकारियों से झड़प हुई, जिसमें प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले छोड़े गए.
गवर्नर ने बताया ‘भड़काने वाला’ कदम
उरमैन के अनुसार, ‘यह कदम समय से पहले लिया गया लगता है और ऐसा लगता है कि इसका मकसद विरोध को दबाना है.’ व्हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया कि ट्रंप ने ‘उस अराजकता को खत्म करने’ के लिए राष्ट्रपति ज्ञापन (Presidential Memorandum) पर साइन किए हैं, ‘जिसे लंबे समय से पनपने दिया गया.’ हालांकि, कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूजम ने इस फैसले को ‘जानबूझकर भड़काने वाला’ बताया.
आखिरी बार 1992 में इस्तेमाल किया गया था विद्रोह कानून
सरकारी सूत्रों के अनुसार, प्रशासन ने अब तक Insurrection Act (विद्रोह कानून) का उपयोग नहीं किया है. यह 1807 का कानून अमेरिकी राष्ट्रपति को कानून-व्यवस्था बनाए रखने और गृह अशांति को दबाने के लिए सेना तैनात करने का अधिकार देता है. इसे आखिरी बार 1992 में लॉस एंजेलिस दंगों के दौरान कैलिफोर्निया के गवर्नर के अनुरोध पर लागू किया गया था.
बिगड़ सकता है शक्ति का संतुलन
प्रोफेसर उरमैन ने चेतावनी दी कि बिना राज्य सरकार की सहमति के सेना की तैनाती से संघीय और राज्य सरकारों के बीच शक्ति-संतुलन बिगड़ सकता है. उन्होंने कहा, ‘इससे संघीय सरकार को राज्य और स्थानीय सरकारों की तुलना में ज्यादा अधिकार मिल जाते हैं, जबकि अमेरिका का संविधान सीमित और निर्दिष्ट अधिकारों वाली संघीय व्यवस्था की बात करता है.’
भविष्य में आवाज उठाने से कतराएंगे लोग
इसके अलावा, Posse Comitatus Act के तहत अमेरिका में सेना को नागरिकों पर बल प्रयोग करने की अनुमति नहीं है, जब तक कि कांग्रेस इसकी विशेष अनुमति न दे या आत्मरक्षा की स्थिति न हो.मुख्य चिंता यह है कि सेना की मौजूदगी अमेरिकी नागरिकों के First Amendment (पहले संशोधन) के तहत मिलने वाले अभिव्यक्ति और विरोध के अधिकार को प्रभावित कर सकती है.
उरमैन कहते हैं, ‘अगर राष्ट्रपति हर बार अपने खिलाफ विरोध होने पर फौज तैनात करते हैं और लोग घायल या गिरफ्तार होते हैं, तो यह भविष्य में लोगों को दोबारा विरोध करने से रोक सकता है.’
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