
नई दिल्ली। विदेश से लौटे सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल (All-Party Delegation) से पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की मुलाकात के बाद कांग्रेस (Congress) ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस ने पूछा कि क्या अब सरकार (Goverment) देश की सुरक्षा और विदेश नीति को लेकर संसद (Parliament) के मानसून सत्र (Monsoon Session) में बहस कराएगी? क्या प्रधानमंत्री कम से कम सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे और चीन-पाकिस्तान (China Pakistan) के संबंध में भारत (India) की आगे की रणनीति पर उन्हें विश्वास में लेंगे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अब प्रधानमंत्री ने स्वयं 32 देशों में भेजे गए सात संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों से मुलाकात की है, तो क्या वह कम से कम अब सभी राजनीतिक दलों के नेताओं की बैठकों की अध्यक्षता करेंगे। क्या वे चीन और पाकिस्तान दोनों के संबंध में भारत की भविष्य की रणनीति और सिंगापुर में सीडीएस के खुलासे को लेकर विपक्षी दलों को उन्हें विश्वास में लेंगे?
उन्होंने पूछा कि क्या प्रधानमंत्री संसद के आगामी मानसून सत्र में पहलगाम घटना के बाद देश की सुरक्षा और विदेश नीति की चुनौतियों पर पूर्ण बहस कराने के लिए तैयार होंगे। सरकार विपक्षी गठबंधन इंडिया की संसद के विशेष सत्र मांग को खारिज कर चुकी है। क्या प्रधानमंत्री पहलगाम के आतंकियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए कोशिश करेंगे।
रमेश ने यह भी पूछा कि क्या विदेश मंत्री एस जयशंकर के पिता के सुब्रह्मण्यम की अध्यक्षता वाली कारगिल समीक्षा समिति जैसे विशेषज्ञों का एक समूह गठित किया जाएगा, जो ऑपरेशन सिंदूर का विस्तार से विश्लेषण करेगा और उभरते सैन्य प्लेटफार्मों और प्रौद्योगिकियों तथा संकट की स्थिति में सामरिक संचार के लिए राष्ट्रीय क्षमताओं के निर्माण सहित युद्ध के भविष्य पर अपनी सिफारिशें देगा। रमेश ने कहा कि इसके बाद क्या रिपोर्ट को संशोधनों के बाद – संसद में रखा जाएगा? जैसे कि कारगिल समीक्षा समिति की रिपोर्ट फरवरी 2000 में रखी गई थी।
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