
इंदौर। महू-मानपुर और चोरल के जंगलों में किसानों के मवेशियों पर तेंदुए के लगातार हमले जारी है। वन विभाग के अनुसार महू वन सीमा के अंतर्गत मांगलिया पिपल्या के पास डमाली बीट में तेंदुए ने फिर एक गाय का शिकार किया है। शिकार का मतलब, इलाके में तेंदुए की मौजूदगी। इस खबर से आसपास के गांव और अन्य इलाकों में हड़कम्प मच गया है। खबर मिलते ही वन विभाग की टीम ने नाइट विजन कैमरे लगा दिए हंै। महू के फारेस्ट रेंजर ऑफिसर के नयन पालवी के अनुसार, आज वन विभाग की टीम मौके पर लगाए गए कैमरे की रिकार्डिंग की जांच करेगी। ऐसा अक्सर होता है कि तेंदुआ जहां भी शिकार करता है, कुछ घण्टों या दिनों बाद घूम फिर कर वह फिर वापस आता है। इसलिए मौके पर वन विभाग कैमरे लगाकर उसकी गतिविधियों पर नजर रखता है।
8 हजार रुपए तक मवेशियों का मुआवजा देता है वन विभाग
किसानों के मवेशियों पर मतलब गाय-बैल और बकरियों पर लगातार हमलों का खामियाजा किसानों और वन विभाग दोनों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों को जहां पशु धन की चपत लगने की वजह से बैल से सम्बंधित कृषि कार्य और गाय के दूध से होने वाली आय पर असर पड़ता है, मतलब नुकसान होता है, वहीं वन विभाग को भी नियम अनुसार मुआवजे देने का खामियाजा भुगतना पड़ता है। मुआवजे की कार्रवाई में 3 से 4 माह का वक्त लग जाता है।
नियम अनुसार गाय- बैल और बकरी के मारे जाने पर 8000 रुपए तक का मुआवजा देना पड़ता है। इंदौर वन विभाग के अंतर्गत महू, मानपुर, चोरल और इंदौर के अलावा रालामण्डल अभयारण्य में मवेशियों के सबसे ज्यादा शिकार तेन्दुओं ने मानपुर के जंगलों में किए हैं। यहां के फारेस्ट रेंजर ऑफिसर पप्पूसिंह चौहान के अनुसार जनवरी 2025 से 15 जून तक तेन्दुओं ने मानपुर के जंगलों में लगभग 79 मवेशियों का शिकार किया है, वहीं महू फारेस्ट रेंजर नयन पालवी ने बताया कि महू रेंज में इस साल अभी तक लगभग 23 मवेशियों का शिकार किया गया है। इसी तरह फारेस्ट रेंजर सचिन वर्मा के अनुसार चोरल के जंगलो में इस साल में तेन्दुओं ने अभी तक लगभग 17 मवेशियों का शिकार किया है। राहत की बात यह है कि फारेस्ट रेंजर संगीता ठाकुर के अनुसार इंदौर के जंगलों में अभी तक कोई शिकार नहीं हुआ है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved