
हैदराबाद. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिममीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने ईरान (Iran) के तीन परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमलों को लेकर डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) और उन्हें नोबल शांति पुरस्कार ( Nobel Peace Prize) देने की सिफारिश करने वाले पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई। उन्होंने इस्राइलल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच अमेरिका की एंट्री पर कहा कि क्या इसीलिए पकिस्तान ने ट्रंप को शांति पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। क्या इसीलिए पाकिस्तान के सेना प्रमुख असीम मुनीर अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ लंच किया था? आज वे सभी बेनकाब हो गए हैं।
पहले जानिए अमेरिका ने बीती रात क्या किया?
इससे पहले ईरान के परमाणु ठिकानों पर इस्राइल ने हमले किए थे, लेकिन ईरान के परमाणु ठिकाने भूमिगत हैं, जिससे इस्राइली हमलों में उन्हें खास नुकसान नहीं हुआ। इस्राइल के पास ऐसे हथियार नहीं हैं, जो भूमिगत ढांचे को तबाह कर सकें। इस बीच अमेरिका की एंट्री हुई और अमेरिका ने अपने सबसे खास हथियारों में से एक बी-2 स्टील्थ बॉम्बर से 30,000 पाउंड के मैसिव ओर्डिनेंस पेनिट्रेटर या बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जो जमीन के भीतर भी भारी तबाही मचाने की ताकत रखते हैं। इस दौरान अमेरिका ने तीन प्रमुख ईरानी परमाणु ठिकानों फोर्डो, नतांज और इस्फाहान को निशाना बनाया।
ओवैसी के निशाने पर पाकिस्तान क्यों आया?
दरअसल, पाकिस्तान 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने वाला है। उसका कहना है कि भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान ट्रंप के कूटनीतिक दखल और मध्यस्थता ने बड़े युद्ध को टालने में मदद की। यह आधिकारिक एलान ट्रंप के व्हाइट हाउस में पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर की मेजबानी के तीन दिन बाद किया गया।
नोबेल के लिए नामित करने के वादे पर ही मुनीर को आमंत्रित किया गया था
गौरतलब है कि पाकिस्तान की ओर से नोबेल के लिए ट्रंप को नामित करने के वादे पर ही मुनीर को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया गया था। ट्रंप लगातार दावा करते रहे हैं कि उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्ष को रुकवाया। हालांकि, भारत उनके दावे को सिरे से खारिज कर चुका है। यह भी साफ करता रहा है कि भारतीय सेना के भीषण जवाबी हमले के कारण पाकिस्तान को संघर्ष रोकने के लिए गुहार लगानी पड़ी।
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