
इंदौर। मानसून (Monsoon) का मौसम शुरू होने से पहले नगर निगम (Municipal council) द्वारा शहर में सडक़ों (roads) पर जलभराव (Water logging) रोकने के लिए किए गए कामों के दावे की हवा कल हुई बारिश में ही निकल गई। इसके साथ ही शहर की सडक़ की बदहाल स्थिति वाहन चालकों को भारी पड़ रही है।
मानसून का मौसम शुरू होने से पहले कलेक्टर आशीष सिंह हो या महापौर पुष्यमित्र भार्गव अथवा निगम आयुक्त शिवम वर्मा हो, सभी ने निगम अधिकारियों की कई बार बैठक की है। इस बैठक में इन अधिकारियों को यह निर्देश दिया गया था कि जिन स्थानों पर बारिश में पानी जमा हो जाता है उन स्थानों पर फोकस करते हुए कम करें। इस बार हमें पानी सडक़ों पर भरा हुआ नजर नहीं आना चाहिए। ऐसे हर स्थान पर पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था की जाएं। इस निर्देश के परिप्रेक्ष्य में नगर निगम के अधिकारियों द्वारा जलजमाव वाले स्थान पर व्यापक व्यवस्था किए जाने का भी दावा किया गया। मीटिंग में निकम के अधिकारी बहुत विस्तार के साथ बताते थे कि कौन से स्थान पर पानी जमा होता है और वहां पर अब पानी जमा नहीं हो, इसके लिए उनके द्वारा कितना व्यापक काम किया गया है।

निगम के अधिकारियों द्वारा पूर्व में दी गई जानकारी की हकीकत कल हुई मामूली बारिश में ही उजागर होकर सामने आ गई। इस थोड़ी सी बारिश में ही सडक़ों पर पर्याप्त पानी जमा हो गया था। इसके साथ में नगर निगम द्वारा पेचवर्क का कार्य करने में की जा रही लापरवाही भी उजागर हो गई। निगम के अधिकारियों को बार-बार यह निर्देश दिया जा रहा है कि एक साल की गारंटी के साथ ठेकेदार द्वारा सडक़ में सुधार का काम किया गया है, उसी ठेकेदार से वापस सुधार का कार्य कराया जाए। संबंधित ठेकेदार से यह काम कराने में निगम के अधिकारियों की रुचि नहीं है। इन अधिकारियों के द्वारा तो नए ठेकेदार से पैसे खर्च कर काम कराने में रुचि ली जा रही है। यह काम भी इतना खराब हो रहा है कि शहर में कई स्थानों पर सडके फिसल पट्टी बन गई है। खूब कीचड़ हो रहा है। कई स्थानों पर पेचवर्क के कार्य में से गिट्टी-मुरम निकालकर सडक़ पर फैल गई है, जो दुर्घटना का कारण बन रही है।
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