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MP: 60 लाख की आबादी के मुताबिक वॉटर सप्लाय और सीवरेज नेटवर्क बनेगा

June 25, 2025

  • इंदौर सहित 413 नगरीय निकायों के लिए 13 हजार करोड़ के नए प्रोजेक्ट मंजूर
  • आबादी के मुताबिक शहर को पड़ेगी1200 एमएलडी पानी की जरूरत

इंदौर। एक तरफ इंदौर (Indore) की आबादी तेजी से बढ़ रही है, खासकर कोविड (covid) के बाद इसमें इजाफा हुआ है। हालांकि केन्द्र सरकार (Central Government) ने 2011 के बाद जनगणना (Census) नहीं करवाई और अब इसकी अधिसूचना जारी की है। मगर जनगणना के सैम्पल सर्र्वे के आधार पर यह अनुमान लगाया गया कि शहर की आबादी 2050 तक 60 लाख पार कर जाएगी, जिसके चलते पीने के पानी की समस्या बढ़ेगी, क्योंकि वर्तमान में जहां 400 से 500 एमएलडी पानी की सप्लाय निगम द्वारा की जा रही है, मगर जरूरत 1200 एमएलडी से अधिक की रहेगी। हालांकि अमृत-2.0 के तहत निगम ने नर्मदा के चौथे चरण का काम शुरू करवाया है। दूसरी तरफ शासन ने इंदौर सहित 413 नगरीय निकायों के लिए 13 हजार करोड़ से अधिक के नए प्रोजेक्टों को मंजूरी दी है, जिसमें वॉटर प्लाय और सीवरेज नेटवर्क तैयार होगा।


इंदौर, भोपाल, रीवा, कटनी सहित 30 शहरों में वॉटर और सीवरेज नेटवर्क को तैयार करने के लिए पहले चरण में 3 हजार करोड़ रुपए की राशि दी गई थी। उसके बाद सभी 413 निकायों के लिए 13 हजार करोड़ रुपए के काम मंजूर किए गए हैं। नगरीय प्रशासन और विकास मंत्रालय का दावा है कि अगले 4 से 5 वर्षों में वॉटर सप्लाय और सीवरेज नेटवर्क इन सभी नगरीय निकायों में तैयार हो जाएगा। अभी सिर्फ 16 नगर निगयमों में ही रोजाना 2700 एमएलडी पानी की जरूरत बताई गई है। मगर 2050 तक इसमें 9 हजार एमएलडी पानी की जरूरत का और इजाफा हो जाएगा, जिसके चलते जलापूर्ति के स्त्रोतों की खोज तो करना ही पड़ेगी, वहीं दूसरी तरफ पाइप लाइन, टंकियों के निर्माण के साथ मौजूदा सिस्टम को भी अपग्रेड करना पड़ेगा। अभी इंदौर के साथ-साथ भोपाल, जबलपुर, उज्जैन, देवास जैसे शहरों में तो नर्मदा के पानी को पाइप लाइनों के जरिए पहुंचाने की व्यवस्था की गई है और अब जनगणना के सैम्पल सर्वे के आधार पर इन शहरों के साथ-साथ अन्य नगरीय निकायों में लगभग 3 गुना तक बढऩे वाली आबादी के मान से नेटवर्क तैयार कराया जा रहा है। 2011 की गणना में इंदौर की आबादी 22 लाख के लगभग बताई गई थी, जो 2050 तक 60 लाख अनुमानित की गई है। हालांकि जानकारों का कहना है कि इंदौर जिले की आबादी तो अभी ही इतनी हो गई है और शहर की आबादी में भी तेजी से विस्तार हुआ है। मगर चूंकि अभी तक डोर-टू-डोर जनगणना नहीं हुई है इसलिए आबादी के सटीक आंकड़े तो उपलब्ध नहीं हैं,मगर जिस तेजी से शहर में भीड़ बढ़ रही है और चारों दिशाओं में कॉलोनी, टाउनशिप, बहुमंजिला इमारतों का विस्तार, निर्माण हो रहा है उसके मुताबिक पूरे प्रदेश में सबसे अधिक आबादी इंदौर की ही रहेगी। अभी तो इंदौर से उज्जैन रोड पर भी ढेरों कॉलोनियां विकसित हो गई है और मेट्रो पॉलिटन अथॉरिटी के गठन की प्रक्रिया भी शासन ने शुरू करवा दी, जिसमें इंदौर, उज्जैन, देवास, धार और शाजापुर, 5 जिलों को शामिल किया गया है। दूसरी तरफ इंदौर नगर निगम की माली हालत लगातार खस्ता होती जा रही है। ठेकेदारों के भुगतान ना होने से टेंडरों को कई मर्तबा बार-बार जारी करना पड़ रहा है, तो पेयजल की ही बात की जाए, तो नर्मदा के तीनों चरणों से अभी 400 एमएलडी से अधिक पानी आता है। मगर आधी आबादी अभी भी टैंकरों, नलकूपों के ही भरोसे रहती है। यहां तक कि निगम सीमा में शामिल किए 29 गांवों में भी अभी तक सीवरेज और नर्मदा लाइन का नेटवर्क नहीं बना है और यहां के लाखों नागरिकों को टैंकरों का पानी पीना पड़ता है। गर्मियों के दिनों में तो खुद निगम 600 से अधिक किराए के टैंकर चलाता है। अभी राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और अमृत-2.0 के तहत सीवरेज नेटवर्क का काम भी किया जा रहा है, तो कुछ समय पूर्व ही निगम ने एक हजार करोड़ रुपए से अधिक के कार्य मंजूर किए हैं।

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