
इंंदौर। टीवी, मोबाइल (TV, Mobile) के माध्यम से बड़़ेे शहरों में लग्जरी लाइफ देखकर बच्चे (children) भी आकर्षित हो रहे हैं। रील्स (Reels) देखकर महंगी चीजों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं और यदि उनकी इच्छाएं माता-पिता (Parents) पूरी नहीं कर पा रहे हैं तो घर से भागने तक का कदम उठा रहे हैं। इंदौर की चकाचौंध से आकर्षित होकर हर दिन कई बच्चे इंदौर पहुंच रहे हैं। छोटी-छोटी बात पर नाराज होकर घर से दूर भाग जाना वैसे कोई नई बात नहीं है, पकड़े जाने पर घर लौट कर नहीं जाने की जिद भी नया ट्रेंड है।
रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, व्यस्तम चौराहे, मॉल पर अकेले पाए जा रहे बच्चों पर अब बाल कल्याण विभाग के कर्मचारी नजर रख रहे हैं। पुलिस विभाग के साथ मिलकर हर दिन घर से भागे हुए बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया जा रहा है। घर से भागकर इंदौर में नौकरी कर जीवनयापन करने और मौज-मस्ती करने के लिए अब किशोर नई हरकत करने लगे हैं। पकड़ाने के बाद जब उनके पालकों को बुलवाया जा रहा है, तो बच्चे उनके साथ जाने से ही इनकार कर रहे हैं। इंदौर में बीते एक सप्ताह में वन स्टॉप सेंटर ने 5 ऐसे टीनएजर्स को घंटों की कांउसलिंग के बाद उनके घर भेजा है। पिछले एक साल के आंकड़ों की समीक्षा की जाए तो 50 से अधिक मामलों में वन स्टॉप सेंटर द्वारा समझौता करवाया जा चुका है। इन बच्चों को भारी मशक्कत के बाद घर भेजा गया है। वन स्टॉप सेंटर की प्रशासिका वंचनासिंह परिहार के अनुसार जिला कार्यक्रम अधिकारी रजनीश सिन्हा के मार्गदर्शन में महिलाओं से जुड़े मामलों का निरकारम किया जाता है और उनको समुचित सहायता करते हैं, लेकिन नाबालिगों के प्रकरण भी विशेष रूप से देखे जाते हैं।
अग्निबाण ने प्रमुखता से उठाया था मामला
हाल ही में हमें एक ऑटो चालक ने एक किशोरी को सौंपा था। अग्निबाण अखबार में बच्ची की सुरक्षा के लिए इस मुद्दे को प्रमुखता से छापा था। बच्ची नौकरी दिलाने के नाम पर ऑटो चालकों से मदद मांग रही थी। गलत हाथों से बचाने के लिए ऑटो चालक ने उसे वन स्टॉप सेंटर के हवाले किया था। वह शहडोल से ट्रेन से इंदौर आ गई थी और यहां पर परेशान हो रही थी। जब उससे पूछा तो उसने बताया कि उसके भाई की शादी थी। वह एक महंगी ड्रेस खरीदना चाहती थी, लेकिन घर वाले इसके लिए राजी नहीं थे। इससे नाराज होकर उसने घर छोड़ दिया और घर में रखे 50 हजार रुपए साथ लिए। किशोरी के परिजन को बुलाया तो वह घर जाने के लिए राजी ही नहीं हुई। बड़ी मुश्किल से उसे घर भेजा गया।
नौकरी लगवा दो इंदौर में ही रहना है
छोटी-छोटी जरूरत को पूरी करने के लिए यदि मां-बाप मना कर रहे हैं तो बच्चे घर छोडऩे तक का कदम उठा रहे हैं। ऐसे ही मामले में किशोरी अपने सौतेले पिता से नाराज होकर घर छोडक़र आ गई। यहां पर जीआरपी पुलिस ने उसे वन स्टॉप सेंटर को सौंपा। उससे पूछताछ की तो उसने घर जाने से ही इनकार कर दिया। किशोरी ने यहां तक कह दिया कि उसकी नौकरी लगवा दी जाए और वह यहीं रहना चाहती है। समझाने के बाद वह परिजन के साथ रवाना हुई।
मोबाइल के लिए डांटा तो भाग आईं बहनें
परिहार ने बताया कि अत्यधिक मोबाइल चलाने पर डांटना भी अब बच्चों को प्रताडऩा लगने लगा है। ऐसे ही एक अन्य मामले में दो सगी बहनें, जो भोपाल की रहने वाली हैं, अपने मामा के यहां छुट्टियां मनाने गई थीं। वहां पर दोनों को मोबाइल का अधिक उपयोग करते देख मामा ने डांट दिया और मोबाइल छीन लिया। दोनों को यह बात रास नहीं आई और नाराज होकर भागकर इंदौर आ गई। रेलवे पुलिस ने दोनों बहनों को सुरक्षित हाथों में पहुंचा था।
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