
इंदौर। भोपाल का 90 डिग्री वाला ऐशबाग रेलवे ओवरब्रिज देशभर में अनूठी इंजीनियरिंग के लिए हंसी का पात्र बनने के साथ चर्चित हो गया है। कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इसके दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने और डिजाइन में परिवर्तन के बाद लोकार्पण करना भी तय किया। गनीमत रही कि इंदौर विकास प्राधिकरण ने एमआर-12 पर बनने वाले रेलवे ओवरब्रिज की ड्राइंग-डिजाइन देखकर उसके अलाइनमेंट को बदलवाने की प्रक्रियानगर तथा ग्राम निवेश के माध्यम से शुरू कर दी, अन्यथा भोपाल की तरह इंदौर में भी 90 डिग्री वाला अनूठा मुजस्समा बन जाता। अब हालांकि लोक निर्माण विभाग तीन लेन का ब्रिज बना रहा है, जिसका अभी परसों ही मुख्यमंत्री ने इंदौर में शिलान्यास भी किया। नगर तथा ग्राम निवेश ने जहां मास्टर प्लान की कई सडक़ों के अलाइनमेंट रसूखदारों को फायदा पहुंचाने के लिए बदल डाले, तो उसके कारण प्राधिकरण को अपनी टीपीएस योजना-8 से लेकर एमआर-11, एमआर-12 में भी समस्या आ रही है। इसके पूर्व आरई-2 के अलाइनमेंट में भी मनमाना परिवर्तन कर दिया गया। एमआर-12 पर प्राधिकरण को दो ब्रिजों का निर्माण करना था, मगर अब कान्ह नदी पर सिक्स लेन का ओवरब्रिज ही प्राधिकरण बनाएगा, क्योंकि रेलवे ओवरब्रिज बनाने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग ने ले ली है।
पहले प्राधिकरण ने सिक्स लेन के आरओबी की ड्राइंग-डिजाइन तैयार करवाई और टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की जाना थी। मगर उसके पहले ही लोनिवि ने तीन लेन के ब्रिज के ना सिर्फ टेंडर बुला लिए, बल्कि मंजूर भी कर डाले और अभी मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से परसों साढ़े 400 करोड़ रुपए से अधिक के विकास कार्यों के साथ-साथ इस तीन लेन के आरओबी का शिलान्यास भी करवा लिया, जिस पर लगभग 32 करोड़ रुपए खर्च होंगे। प्राधिकरण द्वारा बनवाई ड्राइंग-डिजाइन में यह आरओबी भी लगभग पर 90 डिग्री टर्न हो रहा था, जिस तरह भोपाल का एशबाग आरओबी बना है, जो देशभर में चर्चा का विषय बन गया। प्राधिकरण ने इसका अलाइनमेंट बदलवाने के लिए नगर तथा ग्राम निवेश में अपील की है, क्योंकि उसे एमआर-12 भी मास्टर प्लान के मुताबिक 200 फीट चौड़ा बनाया है और उसमें भी यह टर्न आ रहा है।
इसके चलते प्राधिकरण सीईओ आरपी अहिरवार ने मौजूदा अलाइनमेंट में संशोधन की प्रक्रिया नगर तथा ग्राम निवेश से शुरू करवाई। दरअसल, फिनिक्स सहित कुछ टाउनशिप के अभिन्यास मास्टर प्लान की 200 फीट चौड़ी एमआर-12 के अलाइनमेंट में ही मंजूर कर डाले हैं। पिछले दिनों संचालक नगर तथा ग्राम निवेश श्रीकांत बनोठ ने इस मामले की सुनवाई भी कर ली। इसके अलावा अन्य जो मामले धारा 52 के लम्बित हैं उनमें भी एक साथ आदेश जारी किए जाएंगे। ये अकेला ऐसा मामला नहीं है। अन्य सडक़ों और टीपीएस योजनाओं में भी इसी तरह की समस्या आ रही है। एमआर-12 का निर्माण सिंहस्थ के मद्देनजर भी अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि यह बायपास से एबी रोड होते हुए भौंरासला तक उज्जैन रोड से जुड़ेगा, जिसके चलते वर्तमान में एमआर-10 पर जो यातायात का दबाव है वह कम होगा। मगर एमआर-12 में बाधक ईंट भट्टों को तो हटा दिया था, मगर दो हजार से अधिक मकानों वाली बस्ती को अभी शिफ्ट करना शेष है, जिसके लिए प्राधिकरण किराए के फ्लैट व अन्य व्यवस्था में जुटा है। प्राधिकरण हालांकि व्यवस्थापन के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत फ्लेट भी निर्मित करेगा, मगर उसमें अभी 3 से 4 साल का समय बिल्डिंग बनने में लगेगा। तब तक अस्थायी रूप से विस्थापितों को कहीं पर शिफ्ट करना पड़ेगा। फिलहाल तो अलाइनमेंट का बड़ा मसला अटका है, जो पता नहीं कब सुलझेगा।
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