
इंदौर। एक तरफ फर्जी रजिस्ट्रियों का सिलसिला बीते कई वर्षों से जारी है और अभी पंजीयन विभाग ने ही दो दर्जन से अधिक ऐसी रजिस्ट्रियां पकड़ी थीं, जिनका खुलासा अग्निबाण ने किया। इंदौर विकास प्राधिकरण की 14 साल पहले अवॉर्ड पारित अधिग्रहित जमीन की भी कुछ समय पूर्व फर्जी रजिस्ट्री हो गई, जिसकी एफआईआर भी दर्ज करवाई गई, तो इसी तरह इन रजिस्ट्रियों के आधार पर नगर निगम ने सम्पत्ति कर के खाते भी खोल डाले। इस रैकेट में पंजीयन से जुड़े अभिभाषक-ब्रोकर के साथ विभागीय कर्मचारियों की मिलीभगत रही है। यहां तक कि देश के सबसे बड़े और चर्चित तेलगी स्टाम्प कांड से भी इंदौर अछूता नहीं रहा और 100 करोड़ रुपए से अधिक के नकली स्टाम्प इंदौर में भी खपा दिए, जो कि असल के साथ-साथ नकली रजिस्ट्रियों में इस्तेमाल किए गए। इंदौर सीबीआई कोर्ट ने इस मामले में तीन आरोपियों को सजा भी सुनाई थी।
अभी सम्पदा-2 पोर्टल के माध्यम से यह दावा किया गया कि रजिस्ट्री जहां आसान होगी, वहीं किसी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं होगी। मगर अभी पिछले ही दिनों सैलाना में एक किसान की ऑनलाइन ही फर्जी रजिस्ट्री का मामला सामने आया, तो दूसरी तरफ इंदौर में फर्जी रजिस्ट्रियों का सिलसिला लगातार जारी रहा है। कलेक्टर आशीष सिंह ने इस मामले की शिकायत मिलने के बाद पंजीयन विभाग के ही अधिकारियों की टीम बनाकर जो जांच करवाई उसमें दो दर्जन से अधिक फर्जी रजिस्ट्रियां पाई गई, जो कि जमीनों के साथ-साथ भूखंडों की करवाई गई। यहां तक कि प्राधिकरण की छोटा बांगड़दा की एक जमीन की भी कुछ समय पूर्व फर्जी रजिस्ट्री हो गई। 14 साल पहले अधिग्रहित और अवॉर्ड पारित योजना 151 में शामिल 13 हजार स्क्वेयर फीट से अधिक की जमीन पर हुई इस फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर भी की गई। जमीन बेचने के लिए तीन अनुबंध तैयार किए और फिर एक के नाम रजिस्ट्री करवा दी। प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिकारी ने इस फर्जी रजिस्ट्री की शिकायत मिलने पर खसरा नम्बर 103/1/32/8 और 103/1/32/4 की 0.121 हेक्टेयर जमीन का नामांतरण ना करने संबंधित निर्देश भी तहसीलदार को दिए। 2011 में ही यह जमीन योजना में शामिल करते हुए अधिग्रहित की गई थी और प्राधिकरण ने यहां कई भूखंड भी बेच दिए।
एरोड्रम थाने में इस मामले की एफआईआर दर्ज करवाई गई, तो दूसरी तरफ कलेक्टर आशीष सिंह ने फर्जी रजिस्ट्रियों के आधार पर होने वाले नामांतरण पर भी रोक लगाने के लिए आदेश जारी किए कि जैसे ही नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा किसी कॉलोनी का अभिन्यास मंजूर होता है तो उसी आधार पर एसडीओ और तहसीलदारों को संबंधित क्षेत्रों के पटवारियों के जरिए खसरा अभिलेख में उसकी प्रविष्टि करवा देना चाहिए और किसी खसरे पर अभिन्यास स्वीकृति के पश्चात बंटांकन नहीं किए जाएं और आवेदक भू-स्वामी से इस आशय का शपथ-पत्र भी लें कि आवेदित भूमि पर पूर्व में कोई अभिन्यास मंजूर नहीं करवाया गया है। दूसरी तरफ 20 हजार करोड़ के चर्चित तेलगी स्टाम्प घोटाले का नेटवर्क इंदौर तक फैला था और बैंकों, सरकारी व निजी संस्थाओं के जरिए 100 करोड़ से ज्यादा के स्टाम्प यहां चला दिए। इंदौर के ही सिटी सेंटर में मालवा इंटरप्राइजेस के नाम से सेंटर खोला गया और राजवाड़ा स्थित एसबीआई की मुख्य ब्रांच में कम्पनी के नाम से खाता खुलवाया और बैंकों में आने वाले लोगों को भी ग्राहक बनाकर स्टाम्प बेचना शुरू किए। तुकोगंज थाने में ही 35 लाख रुपए से अधिक के फर्जी स्टाम्प का एक मामला दर्ज भी किया गया और फिर सीबीआई कोर्ट ने 3 आरोपियों को 5 साल की सजा तक सुनाई।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved