
आधार कार्ड की जांच नहीं, बरी हो गया आरोपी
इंदौर, तेज कुमार सेन
पुलिस (Police) ने एक आरोपी (accused) को यह कहते हुए धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया कि उसने खुद को फर्जी आईएएस (fake IAS) अधिकारी बताया था, लेकिन कोर्ट (court) में पुलिस की कहानी लचर विवेचना के चलते टिक नहीं पाई और अपर सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाह की कोर्ट द्वारा आरोपी दोषमुक्त करार दिया गया।
लचर विवेचना के कुछ मुख्य बिंदु
फरियादी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि उसके वरिष्ठ अधिकारी नायब तहसीलदार नीतेश भार्गव ने उक्त आरोपी का मोबाइल नंबर देकर कहा था वह दिल्ली का आईएएस अमित सिंह है, उससे बात कर लें। इस आधार पर फरियादी संतोष ने आरोपी से बात की थी, लेकिन पुलिस ने उक्त नायब तहसीलदार को ना साक्षी बनाया न ही कोर्ट के समक्ष कथन हेतु प्रस्तुत किया, ताकि इस बात का पता लगाया जा सके कि उक्त नायब तहसीलदार के पास आरोपी का नंबर किस माध्यम से आया था, जिसने यह बताया था कि आरोपों कथित आईएएस अधिकारी अमित सिंह है। इसके अलावा जो आधार कार्ड आरोपी से जब्त हुआ, उसके फर्जी होने की भी एफएसएल जांच पुलिस द्वारा नहीं कराई गई। कोर्ट ने निर्णय में उल्लेख भी किया कि आधार कार्ड के नंबर के आधार पर उसके सही या गलत होने का पता लगाना सहज और सरल है, लेकिन विवेचक ने ऐसी कोई विवेचना नहीं की। कोर्ट ने विवेचना के अन्य कई बिंदुओं पर भी सवाल उठाए। आरोप प्रमाणित नहीं होने पर कोर्ट ने आरोपी रामदास को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त करार दिया।
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