
इंजीनियरों के कार्य विभाजन में जनप्रतिनिधि दरकिनार
इंदौर नगर निगम (Indore Municipal Corporation) में काम करने वाले इंजीनियरों (Engineers) को कमाई वाला भवन अधिकारी (Building Official) और भवन निरीक्षक का पद बांट दिया गया है। निगम आयुक्त शुभम वर्मा (Shubham Verma) ने आदेश जारी कर इस बार बैलेंस कर लिया। पिछली बार केवल नए इंजीनियरों को यह जिम्मेदारी दी गई थी। इस बार कुछ पुराने इंजीनियरों को भी एडजस्ट किया गया। हमेशा इस तरह के कार्य विभाजन में नेता अपने भरोसे के इंजीनियरों को ज्यादा मलाई वाले स्थान पर पोस्टिंग करवाते हैं। फिर यह इंजीनियर भी नेताजी की आर्थिक सेहत को बेहतर बनाए रखने में अपना योगदान देते हैं। इस बार के कार्य विभाजन में नेता या फिर यूं कहें कि जन प्रतिनिधि दरकिनार कर दिए गए। किसी की नहीं चली। प्रशासनिक आधार पर आयुक्त ने ही कमाई का काम दे दिया। अब नेता नगरी इस आदेश का तोड़ निकालने की कोशिश कर रही है।
4 नेताओं ने ठोंका खंडेलवाल पर दावा
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पद पर हेमंत खंडेलवाल का निर्वाचन होने के बाद इंदौर में सन्नाटा है। कोई भी नेता ऐसा नहीं है, जो कि यह दावा कर सके कि वह खंडेलवाल से जुड़ा हुआ है अथवा उसके खंडेलवाल से बहुत अच्छे संबंध है। इस स्थिति के बीच में इंदौर के चार नेताओं ने अपने व्यवस्थित प्रचार के माध्यम से तूफान ला दिया है। भाजपा के पूर्व नगर अध्यक्ष गौरव रणदिवे, विधायक मनोज पटेल, सावन सोनकर और एकलव्य सिंह गौड़ ने यह दावा ठोंका है। इन चारों नेताओं द्वारा सारे शहर में होर्डिंग लगाकर खंडेलवाल के स्वागत की अपील की। इन होर्डिंग के माध्यम से उन्होंने पूरे शहर में यह संदेश दे दिया कि वह खंडेलवाल के करीब हैं। जब चार नेताओं ने यह दावा चल दिया तो फिर उसके बाद में भाजपा के शहर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने भी मोर्चा संभाला और उन्होंने सारे नेताओं के फोटो के साथ शहरभर में प्रचार के बोर्ड लगवाए। भाजपा के नेताओं का यह प्रचार युद्ध शहर की जनता देख रही है और आनंद ले रही है।
शराब दुकान के श्रेय में बन गया त्रिकोण
योजना क्रमांक 71 में खोली गई शराब की दुकान को लेकर चले लंबे आंदोलन के बाद आखिरकार इस दुकान को बंद कर दिया गया है। क्षेत्र की विधायक मालिनी गौड ने इस दुकान पर ताला लगा दिया था। इस ताले को बाद में आबकारी विभाग की टीम में जाकर खोल दिया। फिर कलेक्टर ने इस दुकान को बंद करने का ऐलान कर दिया था। इसी बीच महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 24 घंटे की डेटलाइन देकर कह दिया कि दुकान बंद हो जाएगी। जैसे ही यह दुकान बंद हुई, वैसे ही इस दुकान को बंद कराने का श्रेय लेने का झगड़ा शुरू हो गया। इस झगड़े में महापौर और विधायक आमने-सामने थे। इसी बीच बना तीसरा कोण। पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे ने इस क्षेत्र के अपने समर्थकों को भोपाल ले जाकर उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा से मिलवा दिया। इस मुलाकात के एक दिन बाद ही यह दुकान बंद हो गई। मोघे की पत्नी इस दुकान के विरोध में चल रहे आंदोलन में सक्रियता से शामिल थीं। अब दुकान बंद कराने का श्रेय लेने के लिए तीन नेता मैदान में है।
कल झगड़ा था आज बन गए द्वारपाल
इंदौर की राजनीति में वर्षों तक भाई साहब की भूमिका में रहे जयपाल चावड़ा इन ेदिनों पद की लालसा में अर्दली बनकर घूम रहे हैं। किसी समय उनके घोर विरोधी रहे लोगों के गले में हाथ डालकर कार्यक्रम में घूमते हुए दिखाई दे रहे हैं। चावड़ा जब संगठन मंत्री थे, तब सुमित मिश्रा से उनकी कभी बनी नहीं। बात सार्वजनिक रूप से एक दूसरे को अपशब्द कहने तक पहुंच गई थी। मिश्रा ने तो कसम खा ली थी कि जब तक चावड़ा इंदौर में संगठन मंत्री रहेंगे, मैं भाजपा कार्यालय की सीढ़ी नहीं चढ़ूंगा। समय-समय की बात है। आज वही जयपाल चावड़ा नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा के द्वारपाल बन गए हैं।
नया कौतुक- एक दिन का महापौर
महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एक नया कौतुक शुरू किया है। उन्होंने ऐलान किया है कि वह स्कूलों में जाकर स्कूली बच्चों के साथ संवाद करेंगे और हर स्कूल के एक श्रेष्ठ बच्चे का चयन किया जाएगा। इस बच्चे को एक दिन का महापौर बनाया जाएगा? अनिल कपूर की फिल्म एक दिन का मुख्यमंत्री से प्रेरित होकर यह फैसला लिया गया है, लेकिन फैसले का क्रियान्वयन आधा-अधूरा है। उस फिल्म में तो अमरीश पुरी ने अनिल कपूर को एक दिन का मुख्यमंत्री बनाते हुए काम करने और सारे फैसले लेने का अधिकार दिया था। यहां पर महापौर द्वारा एक दिन का महापौर जिस बच्चे को बनाया जाएगा, उस बच्चे को एक दिन महापौर के साथ घूमने का मौका मिलेगा। महापौर के साथ गाड़ी में घूमने वाले नेता जरूर खुद को महापौर कहते हैं, लेकिन एक बच्चा महापौर के साथ घूमकर एक दिन का महापौर कैसे हो सकता है..?
नवसृजन शुरू हुआ तो सक्रिय हो गए
कांग्रेस में योजना जब से शुरू हुई है, तब से इंदौर में कांग्रेस के नेता सक्रिय हो गए हैं। इन दोनों कांग्रेस द्वारा लगातार बयानबाजी भी की जा रही है और आंदोलन की घोषणा भी हो रही है। पहली बार आंदोलन की तैयारी के लिए हर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने बैठक का आयोजन किया। नगर निगम द्वारा बढ़ाए गए संपत्ति कर, जल कर और कचरा परिवहन शुल्क के मामले को हवा देने में कांग्रेस कहीं कोई चूक नहीं कर रही है। अब जो कांग्रेस के नेता सक्रियता का प्रदर्शन कर रहे हैं, उनकी स्थिति की खोज-खबर लेने में दूसरे नेता लग गए हैं। यह नेता जानना चाहते हैं कि आखिर यह सक्रियता क्यों आई है? इसके पीछे राज क्या है?
अधिकारी ने पैदा किया संकट, नेता दे रहे हैं हवा
नगर निगम में भवन अधिकारी मुख्यालय के पद पर जूनियर अधिकारी सत्येंद्र राजपूत को पदस्थ कर दिया गया है, जबकि भवन अधिकारी के पद पर जोनल कार्यालय में अश्विन जनवदे , वैभव देवलासे जैसे पुराने इंजीनियर पदस्थ किए गए हैं। निगम में इन पुराने इंजीनियरों द्वारा यह सवाल उठाए जा रहा है कि आखिर में अपने जूनियर अधिकारी को रिपोर्ट क्यों और कैसे करेंगे? यह चूक अधिकारी से हुई है और इसे हवा नेता दे रहे हैं। निगम की भवन अनुज्ञा शाखा एक ऐसी शाखा है, वहां पर हर कोई अपनी रोटी सेंककर लाभ अर्जित करना चाहता है।
-डॉ. जितेन्द्र जाखेटिया
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved