नई दिल्ली। पिछले महीने 12 जून को अहमदाबाद में दुर्घटनाग्रस्त हुई एयर इंडिया (Air India) की उड़ान संख्या AI171 की जांच करने वाली टीम ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) को सौंप दी है। हालांकि, अभी यह पता नहीं चल सका है कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो के जांचकर्ता इस दुर्घटना के बारे में किस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इस हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी। इस बीच, सूत्रों ने बताया कि कई सांसदों ने एयर इंडिया AI 171 की दुर्घटना की चल रही जांच पर चिंता जताई है और ब्लैक बॉक्स विश्लेषण की स्थिति और जांच प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सरकार से सवाल किए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मुद्दा कथित तौर पर संसद की स्थाई समिति की आंतरिक चर्चाओं के दौरान सामने आया, जहां सांसदों ने विमान हादसे की जांच की प्रगति के बारे में सार्वजनिक संचार की कमी पर असंतोष जताया। सांसदों द्वारा उठाई गई चिंताओं में जांच समिति की संरचना, इसमें शामिल विशेषज्ञों की साख और उनकी नियुक्ति का तरीका शामिल है। सांसदों ने पूछा है कि क्या इन विशेषज्ञों को औपचारिक रूप से नियुक्त किया गया था या उन्होंने स्वैच्छिक सेवा और सहायता प्रदान की थी।
जांच समिति के गठन के तरीके पर सवाल
सांसदों ने जांच समिति का गठन करने के लिए इस्तेमाल की गई पद्धति पर भी सवाल उठाया और ऐसे राष्ट्रीय महत्व की जांच के लिए सौंपे गए लोगों की योग्यता और पेशेवर पृष्ठभूमि पर और अधिक स्पष्टता की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सांसदों ने नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) की भी स्वतंत्र ऑडिट की मांग की है, जो विमानन सुरक्षा प्रोटोकॉल के लिए जिम्मेदार नियामक प्राधिकरण है।
जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ऑडिट की मांग
सांसदों का कहना है कि ऐसी मांग का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा को और मजबूत करना है। माना जा रहा है कि इस तरह के ऑडिट की मांग सरकार पर जवाबदेही सुनिश्चित करने और विमानन निगरानी तंत्र में जनता का विश्वास बहाली करने लिए एक मजबूत तंत्र विकसित करेगा। सूत्रों के अनुसार, कुछ सदस्यों ने विमानन मंत्रालय द्वारा वही सामग्री प्रस्तुत करने पर भी आपत्ति जताई थी जो पिछली दो बैठकों में साझा की गई थी।
भाजपा सांसद भी चिंतित
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि कई सांसदों ने विमानन सुरक्षा और AI 171 दुर्घटना की चल रही जांच पर बार-बार उठाई गई चिंताओं पर सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर निराशा जाहिर की है। एक विपक्षी सांसद ने कथित तौर पर कहा कि जब वे सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से मुद्दे उठाते हैं, तब भी अधिकारियों की तरफ से कोई फॉलो अप एक्शन नहीं लिया जाता है। सांसद के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो आम नागरिक की स्थिति की कल्पना की जा सकती है। सूत्रों ने यह भी बताया कि भाजपा के एक सांसद ने भी इसी तरह की चिंताओं को सांसद साथियों के साथ साझा किया है।
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