
इंदौर। स्मार्ट सिटी कंपनी (Smart City Company) द्वारा बनाया गया गोपाल मंदिर (Gopal Mandir) शॉपिंग काम्प्लेक्स (Shopping Complex) विवादों के घेरे में है। स्मार्ट सिटी कंपनी ने नगर निगम से नक्शा पास कराए बगैर इस इमारत का निर्माण किया है। इस इमारत का निर्माण इतना घटिया है कि लाखों रुपए देकर दुकान लेने के बाद भी व्यापारी अपनी दुकान में जाने के लिए तैयार नहीं हैं।
स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा नियम विरुद्ध जाकर किए गए काम इस समय चर्चा का केंद्र है। इसके साथ ही इस कंपनी द्वारा किया गया घटिया निर्माण भी सभी के सामने आ रहा है। इस कंपनी द्वारा अपने एडीबी एरिया में स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर जो काम किया गया, उससे वह क्षेत्र स्मार्ट तो नहीं बना, लेकिन क्षेत्र में बहुत सारी नई समस्याएं जरूर पैदा हो गईं। जिन सडक़ों को स्मार्ट सडक़ के रूप में विकसित करने का दावा किया गया, वहां पर सामान्य सडक़ की तरह सडक़ की चौड़ाई बढ़ाने और बिजली की लाइन सहित अन्य तार जमीन के अंदर करने का काम-भर किया गया।
इस समय सबसे ज्यादा चर्चा गोपाल मंदिर के पीछे बने शॉपिंग काम्प्लेक्स की हो रही है। गोपाल मंदिर के बाहर और सामने राजबाड़ा की दीवार से लगी हुई गुमटियों को नगर निगम द्वारा हटाया गया था। उस समय इन गुमटी में कारोबार करने वाले व्यापारियों को कहा गया था कि गोपाल मंदिर के पीछे शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाकर उन्हें जगह दी जाएगी। इस शॉपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण करने के लिए नियम के अनुसार तो स्मार्ट सिटी कंपनी को भवन का नक्शा मंजूर करवाना था और फिर यह निर्माण भवन अनुज्ञा के नियमों के अनुसार पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था करते हुए किया जाना चाहिए था।
स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा इन नियमों का पालन नहीं किया गया। कंपनी ने निगम से नक्शा पास कराए बगैर यह काम्प्लेक्स बना लिया। इस काम्प्लेक्स में पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है और उससे बड़ी समस्या घटिया निर्माण की है। इस परिसर में बहुत सारी दुकानें स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा टेंडर के माध्यम से बेची गई हैं। इन दुकानों को लाखों रुपए लेकर खरीदने वाले व्यापारी इस घटिया निर्माण के कारण अपनी दुकान का कब्जा लेने, अनुबंध करने और वहां पर कारोबार करने के लिए भी तैयार नहीं हैं।
कार्यालय का भी नक्शा मंजूर नहीं है
इस बारे में जब इंदौर के एक उच्च अधिकारी से चर्चा की गई और उन्हें बताया गया कि स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा बिना नक्शा मंजूर कराए यह शॉपिंग काम्प्लेक्स बनाया गया है तो उक्त अधिकारी ने प्रतिप्रश्न करते हुए कहा कि क्या स्मार्ट सिटी कंपनी के खुद के कार्यालय का नक्शा मंजूर है? यह कार्यालय तो बगीचे में बना है और इसका भी नक्शा हकीकत में मंजूर नहीं है। पिछले दिनों प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय जब नेहरू पार्क में पहुंचे थे तो वहां पर उन्होंने स्मार्ट सिटी कंपनी के कार्यालय को देखा था। उस वक्त विजयवर्गीय ने बगीचे में इस तरह के कार्यालय के रूप में बड़े भवन के निर्माण पर आश्चर्य जताया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि बगीचे की जमीन से इस तरह का निर्माण तोड़ दिया जाना चाहिए।
संभाग आयुक्त के आदेश का इंतजार
संभाग आयुक्त दीपक सिंह ने पिछले दिनों गोपाल मंदिर के पुनर्विकास और शॉपिंग काम्प्लेक्स के निर्माण के मामले की समीक्षा की थी। इस दौरान उनके समक्ष भी घटिया निर्माण का प्रश्न आया था। इस पर संभाग आयुक्त द्वारा एक कमेटी बनाकर इस निर्माण की जांच करने के निर्देश दिए गए। इस निर्देश का जनसंपर्क विभाग के माध्यम से समाचार पत्रों में प्रचार-प्रसार भी करवा लिया गया। इस बारे में जब अग्निबाण ने जांच की स्थिति के बारे में जानना चाहा तो मालूम पड़ा कि जांच करने के मौखिक आदेश उस दिन दिए गए थे। अब लिखित आदेश जारी किया जाना है। यह आदेश तैयार करके संभाग आयुक्त कार्यालय पर भेज दिए गए हैं। जब संभाग आयुक्त के पास वक्त होगा, तब इन आदेश पर हस्ताक्षर होंगे। फिर जाकर जांच का काम शुरू होगा।
जांच के पहले लीपापोती शुरू
संभाग आयुक्त के आदेश पर जांच का कार्य शुरू हो उसके पहले स्मार्ट सिटी कंपनी द्वारा लीपापोती का काम शुरू कर दिया गया है। कंपनी के सीईओ दिव्यांक सिंह ने एसडीएम कल्याणी पांडे के साथ इस परिसर का दौरा किया और वहां पर तेज गति के साथ सुधार कार्य शुरू करवा दिया है। इसके साथ ही जांच हो उसके पहले व्यापारियों को भरोसे में लेने की भी कोशिश शुरू हो गई है।
नक्शे मंजूर कराने की जरूरत नहीं
इस प्रोजेक्ट के इंचार्ज स्मार्ट सिटी के इंजीनियर सौरभ माहेश्वरी का दावा है कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत किसी भी तरह के भवन के निर्माण के लिए नक्शा मंजूर करने की कोई आवश्यकता नहीं है। पूरे एडीबी एरिया का मास्टर प्लान बना था। गोपाल मंदिर का यह कार्य नवनिर्माण की श्रेणी में नहीं आकर पुराने निर्माण की मरम्मत और सौंदर्यीकरण की श्रेणी में आता है। जब उन्हें बताया गया कि शॉपिंग काम्प्लेक्स का निर्माण तो नया निर्माण ही है तो उनका कहना था कि गोपाल मंदिर की जमीन पर यह निर्माण हुआ है, इसलिए इसे नया निर्माण नहीं मान सकते।
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