तेहरान/बीजिंग। इजरायल और अमेरिका से चले विनाशकारी युद्ध (Israel-US war) के कारण ईरान (Iran) में मरने वालों की संख्या हजार पार कर गई है और गिनती अभी भी जारी है। 12 दिनों तक चले इस महायुद्ध में ईरान ने न सिर्फ अपने ठिकाने और लोगों को खोया, वायु सुरक्षा की पोल भी खुल गई। अब युद्धविराम के बाद उसने अपनी वायुसेना को पूरी तरह से आधुनिक करने की तैयारी कर ली है। इसी सिलसिले में ईरान ने चीन से संपर्क किया है और उसकी नई पीढ़ी की लड़ाकू विमान प्रणाली, खासकर चेंगदू J-10C खरीदने की इच्छा जताई है। इसे चीन का’विगरस ड्रैगन’ भी कहा जाता है। यह फाइटर जेट बेहद आधुनिक है और दुश्मन के हर मजबूत किले को भेदने में सक्षम भी है।
चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता जियांग बिन ने ‘ग्लोबल टाइम्स’ से बातचीत में कहा, “हम मित्र देशों के साथ अपनी रक्षा तकनीक की उपलब्धियां साझा करने के लिए तैयार हैं और क्षेत्रीय व वैश्विक शांति में रचनात्मक योगदान देना चाहते हैं।”
ईरान के लिए कितना जरूरी ‘विगरस ड्रैगन’
इजरायल और अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमला किए जाने के दौरान ईरान अपनी वायुसेना के जेट तक नहीं उड़ा सका। पुराने सोवियत दौर के जेट बेकार साबित हुए। रूस से Su-35 डील पर भी कोई प्रगति नहीं हुई, जिससे ईरान का भरोसा कमजोर पड़ा है। पाकिस्तान के बाद अब ईरान भी चीन से J-10C खरीदने की कतार में है।
जानकारी के मुताबिक, ईरान के रक्षा मंत्री अज़ीज़ नसीरजादेह हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने बीजिंग पहुंचे थे। वहां उन्होंने चीनी रक्षा अधिकारियों से J-10C की संभावित डील को लेकर बातचीत की।
कितना खतरनाक
J-10C ‘विगरस ड्रैगन’ चीन का एक 4.5वीं पीढ़ी का मल्टीरोल फाइटर जेट है, जो अत्याधुनिक AESA रडार, डिजिटल कॉकपिट और हेल्मेट माउंटेड डिस्प्ले जैसी तकनीकों से लैस है। यह विमान हवा से हवा, हवा से जमीन और एंटी-शिप मिशनों में सक्षम है और इसमें PL-15 जैसी लंबी दूरी की मिसाइलें लगाई जा सकती हैं। इसकी टॉप स्पीड करीब Mach 2 है और यह इन-फ्लाइट रीफ्यूलिंग के जरिए लंबी दूरी तक उड़ान भर सकता है। J-10C स्टील्थ फीचर्स, बेहतर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और हाई-परफॉर्मेंस इंजन के चलते राफेल और F-16 जैसे जेट्स को टक्कर देता है और यही वजह है कि पाकिस्तान के बाद अब ईरान भी इसे खरीदने की तैयारी में है।
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