
नई दिल्ली। पहलगाम आतंकवादी हमले (Pahalgam terrorist attack) के बाद भारी सुरक्षा के बीच शुरू हुई अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) को लेकर नई चिंताएं हैं। खबरें हैं कि बर्फ से प्राकृतिक रूप से तैयार होने वाली पवित्र शिवलिंग (Holy Shivalinga) तेजी से पिघल रही है, जिसके चलते तीर्थयात्रियों में जल्दी जल्दी दर्शन करने की होड़ मची है। हालांकि, आंकड़े बता रहे हैं कि अब तक 17 हजार से ज्यादा लोग शिवलिंग के दर्शन कर चुके हैं। तेजी से पिघलने की बात ने तीर्थयात्रियों से लेकर स्थानीय लोगों तक सभी को हैरान किया है।
खास बात है कि कश्मीर घाटी भयंकर लू का सामना कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अब उन्होंने अनुमान लगाना बंद कर दिया है कि शिवलिंग कब तक बने रहेंगे। एक वरिष्ठ सदस्य ने कहा, ‘हर साल शिवलिंग तेजी से पिघलता है।’ उन्होंने कहा, ‘सालों पहले यह अगस्त तक टिके थे। मौसम का कोई ठिकाना नहीं है। हम पूर्वानुमान नहीं लगा सकते कि कब क्या होगा। यह भविष्य में यात्रा पर असर डालेगा। हम सिर्फ सुविधाएं बेहतर कर सकते हैं, मौसम नहीं बदल सकते।’
शिवलिंग का बनना और पिघलना
शिवलिंग का बनना श्रावण के महीने में शुरू हो जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में इनका गायब होना क्षेत्र के जलवायु संकट का पैमाना बन गया है। साल 2018 में यह 27 जुलाई को पिघले, 2019 में यात्रा आतंकवादी घटनाओं के जोखिम के चलते रद्द हुई, 2020 में जून के मध्य में शिवलिंग बने और जुलाई 23 तक 80 फीसदी तक पिघल गए थे।
2021 में महामारी ने यात्रा रद्द कराई, 2022 में यह सिर्फ 18 जुलाई तक चली और 2023 में शिवलिंग 47 दिनों तक बने रहे। 2024 में तो शिवलिंग महज 1 सप्ताह में ही पिघल गए थे। पूर्व बीएसएफ आईजी (कश्मीर) राजा बाबू सिंह बताते हैं, ‘मेरे कार्यकाल के दौरान मैंने देखा कि क्षेत्र में बर्फबारी कम हो गई है। यात्रा साफ भूमि पर हुई करती थी। अब यहां सुरक्षा बलों की भारी आवाजाही, हेलीकॉप्टरों का आना जाना और लाखों तीर्थयात्रियों का आना है। इसका पर्यावरण पर असर पड़ा और ग्लोबल वॉर्मिंग का खतरा भी है।’
क्या बोले लोग
यात्रा के सबसे ऊंचे पड़ाव महागुणा को लेकर कहा जाता है कि भगवान शिव यहीं गणेश जी को छोड़कर गए थे। अखबार से बातचीत में तीर्थयात्री आशा सिंह और पति अनिल पुरानी यादें ताजा करते हैं। वह बताते हैं, ‘इनर, लंबी आस्तीन के कपड़े, थर्मल जैकेट, बूट, कैप और ग्लव्स होते थे। ये पूरा इलाका बर्फ से ढंका होता था।’ उन्होंने कहा, ‘अब हम यह चढ़ाई साड़ी में कर रहे हैं।’
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से आए 9 सदस्यीय दल में शामिल मीना ने अखबार को बताया, ‘हमने सुना है कि बाबा बर्फानी कुछ ही दिनों में जाने वाले हैं। हम आज ही उनके दर्शन करेंगे।’ जयपुर के संकेत यादव 12 लोगों के एक समूह के साथ दर्शन करने पहुंचे थे। रिपोर्ट के अनुसार, थोड़ी देर के दर्शन के बाद वह बाहर निकलते हैं और अपना सामान उठाते हैं। इस दौरान वह अपने रिश्तेदारों को बताते हैं कि बर्फ तेजी से पिघल रही है। वह कहते हैं, ‘आप देख लीजिए आना हो तो।’
क्या बोले जानकार
ग्लेशियरों पर स्टडी करने वाले प्रोफेसर इरफान राशिद अखबार को बताते हैं, ‘क्षेत्र में 5 जाने माने ग्लेशियर हैं और पर्माफ्रोस्ट इलाके भी हैं। अगर आप अमरनाथ गुफा की तरफ जाएंगे, तो आपको ग्लेशियर दिख जाएंगे, लेकिन ये सभी अब कम होने की स्थिति में हैं।’ उन्होंने कहा कि यह घटना क्षेत्रीय है। उन्होंने कहा, ‘कश्मीर में पश्चिमी हिमालय में सैकड़ों ग्लेशियर कम हो रहे हैं, उनका मास और क्षेत्रफल घट रहा है। पिघलकर पानी नदियों में जा रहे हैं, लेकिन कम बर्फ और बर्फबारी के कारण पानी की उपलब्धता और खेती पर दीर्घकालिक असर होगा।’
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