
जयपुर । वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत (Senior Congress leader Ashok Gehlot) ने कहा कि राजस्थान की भाजपा सरकार (Rajasthan’s BJP Government) संवैधानिक प्रावधानों (Constitutional Provisions) का भी पालन नहीं कर पा रही है (Is not even able to Follow) । उन्होंने “डेढ़ साल बनाम पांच साल” का नारा देने वाली भाजपा सरकार पर पंचायतीराज और नगरीय निकाय चुनाव जानबूझकर नहीं कराने का गंभीर आरोप लगाया है। गहलोत के इस बयान से राज्य की सियासत में हलचल तेज हो गई है।
अपने बयान में गहलोत ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 243-ई में यह स्पष्ट रूप से लिखा है कि पंचायतीराज के चुनाव हर 5 वर्ष में करवाए जाने चाहिए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो महत्वपूर्ण फैसलों का भी उल्लेख किया। इनमें ‘गोवा सरकार बनाम फौजिया इम्तियाज़ शेख तथा अन्य’ और ‘पंजाब राज्य निर्वाचन आयोग बनाम पंजाब सरकार’ केस शामिल हैं, जिनमें शीर्ष अदालत ने यह आदेश दिया था कि हर हाल में पंचायतीराज चुनाव पांच साल में होने चाहिए।
गहलोत ने इन कानूनी और संवैधानिक प्रावधानों का हवाला देते हुए भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा किया। गहलोत का आरोप है कि भाजपा सरकार हार के डर से इन सभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता का निर्णय सर्वोपरि होता है, लेकिन वर्तमान सरकार जनता को उनका अधिकार देने से डर रही है। यह सीधे तौर पर संवैधानिक सिद्धांतों और लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी ने विधानसभा चुनाव में सत्ता में आने के लिए “डेढ़ साल बनाम पांच साल” की बात की थी, वही पार्टी अब अपनी ‘दुर्गति’ के कारण पंचायतीराज जैसे महत्वपूर्ण चुनावों से भाग रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री का यह बयान राज्य में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर चल रही अटकलों के बीच आया है। उनके इस बयान से कांग्रेस ने भाजपा पर संवैधानिक और नैतिक दबाव बनाने की कोशिश की है। यह देखना दिलचस्प होगा कि सत्तारूढ़ भाजपा इस आरोप का क्या जवाब देती है।
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