
नई दिल्ली। ईडी (ED) ने रविवार को कहा कि उसने सहारा समूह (Sahara Group) और उससे जुड़ी इकाइयों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money laundering cases) की जांच के तहत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें सहारा समूह के चेयरमैन की मुख्य प्रबंधन टीम के एक कार्यकारी निदेशक और समूह के एक लंबे समय से सहयोगी सह संपत्ति ब्रोकर शामिल हैं। आरोपियों की पहचान वैलापरम्पिल अब्राहम (Valaparampil Abraham) और जितेंद्र प्रसाद वर्मा (Jitendra Prasad Verma) के रूप में हुई है।
केंद्रीय एजेंसी ने बयान में कहा कि अब्राहम ने सहारा समूह की संपत्तियों की बिक्री के समन्वय और उसे सुगम बनाने में ‘महत्वपूर्ण भूमिका’ निभाई, जिनमें से कई में ‘बेहिसाब’ नकदी शामिल थी, जिसका कथित तौर पर गबन कर लिया गया था। जांच एजेंसी ने बताया कि वर्मा इनमें से कई संपत्ति लेनदेन को अंजाम देने में ‘सक्रिय रूप से शामिल’ था और उसने जानबूझकर इन बिक्री लेनदेन से प्राप्त बड़ी ‘नकदी’ आय को ठिकाने लगाने में मदद की, जिससे ‘अपराध की कमाई’ को छिपाने और नष्ट करने में मदद मिली।
ईडी ने कहा कि हाल ही में इस मामले में की गई तलाशी के दौरान उसे ‘अपराध सिद्ध करने वाले’ सबूत मिले हैं, जिनसे पता चलता है कि सहारा समूह की संपत्तियों को एक-एक करके ‘गुप्त’ तरीके से बेचा जा रहा था। ईडी ने आरोप लगाया कि अब्राहम और वर्मा ने ऐसी संपत्तियों को बेचने और सहारा समूह के प्रवर्तकों को धन की हेराफेरी में मदद करने में ‘मुख्य भूमिका’ निभाई।
एजेंसी ने दावा किया कि प्रवर्तक भारत से बाहर रहते हुए इस तरह के कदाचार में संलिप्त पाए गए। ईडी ने बताया कि गिरफ्तार किए गए दोनों व्यक्तियों को शनिवार को कोलकाता की एक स्थानीय अदालत में पेश किया गया और अदालत ने उन्हें 14 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला विभिन्न राज्य पुलिस विभागों द्वारा दर्ज 500 से अधिक मुकदमों से निकला है।
ओडिशा, बिहार और राजस्थान पुलिस द्वारा हमारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड (एचआईसीसीएसएल) और अन्य के खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर के अलावा सहारा समूह की इकाइयों और संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज 500 से अधिक ऐसी शिकायतों का ईडी द्वारा धन शोधन रोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामला दर्ज करने से पहले विश्लेषण किया गया है।
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