
नई दिल्ली । केरल (Kerala) के दो स्कूलों (School) में छात्रों (Students) द्वारा की गई गुरु पूजा (Guru Puja) की प्रथा का राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने बचाव किया है। उन्होंने कहा कि गुरुओं की पूजा करना, शिक्षकों के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करना भारतीय संस्कृति का एक अहम हिस्सा है। राज्यपाल का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन, वाम लोकतांत्रिक मोर्चे (एलडीएफ) की सरकार ने राज्य के दो सीबीएसई स्कूलों में हाल ही में ‘पद पूजा’ (पैर धोने की रस्म) किए जाने की कड़ी आलोचना की है।
राज्यपाल ने रविवार को बलरामपुरम में बालगोकुलम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘गुरु पूजा हमारी संस्कृति का हिस्सा है, जहां हम अपने गुरुओं के चरणों में पुष्प अर्पित करते हैं… लेकिन कुछ लोगों को इस पर आपत्ति है। मुझे समझ नहीं आता कि वे किस संस्कृति से हैं?’’
शिक्षकों के सम्मान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आर्लेकर ने कहा कि गुरु महान आत्माएं हैं और सम्मान के पात्र हैं। अगर हम अपनी परंपराएं और संस्कृति ही भूल जाएंगे, तो फिर हम इस विश्व में कहीं नहीं रह जाएंगे।
राज्यपाल की इस टिप्पणी पर माकपा और कांग्रेस पार्टी ने उनकी तीखी आलोचना की। दोनों पार्टियों ने राज्यपाल के ऊपर संघ का एजेंडा लागू करने और राज्य का अंधकार युग की ओर वापस ले जाने का आरोप लगाया। ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव के सी वेणुगोपाल ने रविवार को कहा कि स्कूली बच्चों से शिक्षकों के पैर धुलवाने जैसी घटना को उचित ठहराना केरल के राज्यपाल के लिए शर्मनाक है।
राज्यपाल के ऊपर उच्च जाति की फासीवादी संस्कृति को आगे बढ़ाने की कोशिश का आरोप लगाते हुए वेणुगोपाल ने कहा कि उन्हें अपने पद की महानता को समझना चाहिए। उन्होंने कहा,”अर्लेकर केरल को अंधकार युग में वापस ले जाने की कोशिश कर रहे हैं। शायद राज्यपाल को इस भूमि का इतिहास नहीं पता जिसने पुनर्जागरण देखा है।”
राज्य के शिक्षा मंत्री ने भी राज्यपाल के बयान की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रथा केरल की संस्कृति का हिस्सा नहीं है। मीडिया से बात करते हुए मंत्री ने कहा, “शिक्षकों का सम्मान करने से कोई किसी को नहीं रोक रहा है। लेकिन इस प्रथा को वर्षों पहले त्याग दिया गया था। इसका पालन करना जाति व्यवस्था और वर्ण व्यवस्था को जीवित करने जैसा है।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved