
महापौर परिषद की बैठक से क्यों गायब हो गए सदस्य?
इंदौर नगर निगम की महापौर परिषद की बैठक पिछले दिनों आयोजित की गई। इस बैठक से हमेशा मौजूद रहने वाले निरंजनसिंह चौहान गुड्डू, राजेश उदावत और नंदकिशोर पहाडिय़ा गायब हो गए। यह तीनों सदस्य बैठक में नहीं पहुंचे। एक सदस्य जीतू यादव पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। ऐसे में शेष बचे 5 सदस्यों के साथ बैठक हो गई। कुल 10 सदस्यों की महापौर परिषद के आधे सदस्यों ने बैठकर सारे फैसले लिए। अब सवाल यह है कि तीन सदस्य इस बैठक से गायब क्यों हुए? इन तीनों सदस्यों ने महापौर को बता दिया था कि यदि बैठक में निगम में उपायुक्त रहीं लता अग्रवाल की संविदा नियुक्ति का प्रस्ताव आता है तो वह उसका विरोध करेंगे। अब यह विरोध दो तरह से ही हो सकता था। यदि बैठक में बैठकर विरोध किया जाता तो उससे पार्टी की छवि पर असर पड़ता। ऐसे में खामोश विरोध का रास्ता अपनाया गया। इन तीनों सदस्यों ने इस प्रस्ताव का विरोध करने के लिए बैठक से दूरी बना ली। इनके बैठक में नहीं जाने का असर यह हुआ कि महापौर ने आयुक्त से किया हुआ वादा तोड़ दिया और लता अग्रवाल की संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव को अगली बैठक के लिए लंबित कर दिया। अब इस स्थिति को समझ समझ के जो न समझे समझो वह तो नासमझ है…
लता अग्रवाल के मामले में राजनीति
उपायुक्त लता अग्रवाल को सेवानिवृत्ति के बाद संविदा नियुक्ति देने का मामला राजनीति में उलझ गया है। दबंगता के साथ बड़े से बड़े निर्माण को तोड़ देने वाली इस अधिकारी का विरोध केवल इसलिए हो रहा है कि वह नगर निगम आयुक्त के अलावा किसी की नहीं सुनती हैं। यह दर्द महापौर परिषद के सदस्यों का है तो पार्षदों का भी है। महापौर परिषद की बैठक के पहले ही नगर निगम आयुक्त द्वारा अग्रवाल की संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव को राज्य शासन के पास मंजूरी के लिए भेज दिया गया था। वहां से यह प्रस्ताव इसलिए वापस आ गया कि महापौर परिषद की मंजूरी जरूरी है। ऐसे में महापौर ने आयुक्त को भरोसा दिलाया था कि इस बैठक में इस प्रस्ताव को रख दीजिए, हम मंजूरी दे देंगे। बाद में महापौर को अपना फैसला बदलना पड़ा और निगम आयुक्त राजनीति के इस दांव-पेंच से अनभिज्ञ रहकर देखते ही रह गए…
चिंटू चौकसे को बीमारी
राजनेताओं में बयानबाजी की बीमारी तो बहुत होती है। इन दिनों नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे को हर विषय पर बोलने की बीमारी होती जा रही है। पिछले दिनों जब जीतू पटवारी ने नगर निगम पर कमीशनखोरी का बयान दिया तो महापौर ने उन पर जवाबी हमला बोल दिया। इस मामले में वैसे तो चिंटू को बोलने की कोई जरूरत थी ही नहीं, लेकिन फिर भी वह एक दिन बाद बोले। जब बोले तो उन्होंने मूल मुद्दे पर जवाब कम दिया और पटवारी का गुणगान ज्यादा किया। फिर जब महापौर परिषद की बैठक हुई तो उस बैठक में लिए गए फैसले पर भी चिंटू का बयान आ गया। अब हर मामले में यदि बोला जाएगा तो फिर बोलने का वजन कम हो जाता है…
उषा ठाकुर को गुस्सा क्यों आया
पिछले दिनों एक सार्वजनिक कार्यक्रम में प्रदेश की पूर्व मंत्री उषा ठाकुर को गुस्सा आ गया। यह गुस्सा जिला भाजपा अध्यक्ष श्रवण चावड़ा को देखते ही आ गया। उन्होंने तत्काल चावड़ा से भाजपा संगठन के जिले के एक पदाधिकारी के बारे में शिकायत की और कहा कि इस मामले का समाधान कीजिए, वरना फिर जो होगा सो होगा। इस पूरे घटनाक्रम को जिन लोगों ने देखा वे देखते ही रह गए…
पेड़ लगाओ अभियान से कई एमआईसी सदस्य रहे नदारद
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर एक पेड़ मां के नाम कार्यक्रम का आयोजन इंदौर में किया गया, जिसमें इक्यावन हजार पौधे लगाने का ऐलान था। इसकी मेजबानी निगम के संयुक्त तत्वावधान में की गई। इसके पहले 11 तारीख को मुख्यमंत्री की उपस्थिति में सभी नेता व जनप्रतिनिधियों ने मुंह दिखाई की, पर 12 तारीख को केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की उपस्थिति में जो आयोजन हुआ उस आयोजन में अधिकतर नेता गायब रहे। विधायकों में मालिनी गौड़, महेंद्र हार्डिया, मनोज पटेल, उषा ठाकुर आयोजन से गायब रहे। वहीं निगम के इस कार्यक्रम में कई एमआईसी मेंबर व पार्षद भी नहीं पहुंचे। राजेंद्र राठौड़ से अपनी पटरी नहीं बैठने के चलते एमआईसी सदस्य इस कार्यक्रम में मौजूद नहीं रहे। इस कार्यक्रम में नंदू पहाडिय़ा, राजेश उदावत, मनीष मामा, राकेश जैन, प्रिया डांगी व सभापति मुन्नालाल यादव की अनुपस्थिति भी चर्चा का विषय रही।
सोनकर के जवाब में सोनकर
प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल के प्रथम नगर आगमन के मौके पर सावन सोनकर ने अपनी ताकत का प्रदर्शन किया था। उन्होंने भाजपा के कुछ नेताओं को साथ में लेकर पूरे शहर में पोस्टर-होर्डिंग लगा दिए थे। इन पोस्टर-होर्डिंग में शहर अध्यक्ष और जिला अध्यक्ष का नाम और फोटो नहीं था। इसके साथ ही अन्य नेताओं को भी दरकिनार कर दिया गया था। अब नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने सावन सोनकर के मुकाबले में नए सोनकर को लाने की तैयारी शुरू कर दी है। भाजपा कार्यालय के जानकार बताते हैं कि पूर्व मंत्री प्रकाश सोनकर के बेटे विजय कमल सोनकर को आगे बढ़ाकर सोनकर के मुकाबले में सोनकर को खड़ा किया जाएगा…
भाजपा में तारीफों की नई राजनीति
इन दिनों भाजपा में तारीफों की नई राजनीति शुरू हो गई है। जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट तो कई बार अपने भाषण में दूसरे नेताओं की तारीफ ही करते रह जाते हैं और भाषण समाप्त हो जाता है। शहर अध्यक्ष सुमित मिश्रा भी अपने उस्ताद विधायक रमेश मेंदोला और गोलू शुक्ला की तारीफ करने का किसी मंच से मौका नहीं छोड़ते हैं। इंदौर के कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय ने भी पिछले दो कार्यक्रम में अपने साथी अन्य नेताओं की जमकर तारीफ की। जानकारों का कहना है कि अब भाजपा में जो तारीफ करते हुए राजनीति का सिलसिला शुरू हुआ है उसके चलते यह देखना होगा कि यह सिलसिला पार्टी के अंदर की राजनीति को कहां से कहां ले जाता है।
काम की बात
पिछले नगर निगम चुनाव के पहले भी देश में इंदौर की पहचान स्वच्छता से थी और आज भी इंदौर की पहचान केवल स्वच्छता से ही है…
डा. जितेन्द्र जाखेटिया
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