
नई दिल्ली: अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) देश की आर्थिक हालत (Economic Condition) सुधारने को दूसरे देशों पर रेसिप्रोकल टैरिफ (Reciprocal Tariff) लगा रहे हैं. अमेरिका का कर्ज 37 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है. देश की आर्थिक दशा खस्ता होती जा रही है. अमेरिका की कई बड़ी और मध्यम स्तर की कंपनियां इस समय गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रही हैं. यही वजह है कि साल 2025 के पहली छमाही में 371 कंपनियों ने दिवालिया घोषित करने के लिए आवेदन कर दिया है. साल 2010 के बाद किसी भी साल के पहले छह महीनों में ये सबसे ज्यादा आवेदन हैं. जून 2025 में ही 63 नई कंपनियों ने खुद को दिवालिया घोषित करने के लिए आवदेन दिया है. अमेरिका में पिछले साल कुल 688 बड़ी कंपनियों ने बैंकरप्सी के लिए आवेदन किया था. साल 2024 की पहली छमाही में 335 तो दूसरी छमाही में 353 कंपनियां दिवालिया हुई थीं.
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस के अनुसार, इन आंकड़ों में उन सार्वजनिक और निजी कंपनियों को शामिल किया गया है जिनकी संपत्तियां या देनदारियां क्रमशः कम से कम 2 मिलियन डॉलर और 10 मिलियन डॉलर हैं. ये आंकड़े यह दर्शाते हैं कि अमेरिका की अर्थव्यवस्था में वित्तीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है. 2025 में कंपनियों की नकदी की स्थिति और खराब हुई है. फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरें स्थिर बनाए रखने, बढ़ते कर्ज स्तर और घटते उपभोक्ता खर्च के कारण कंपनियों पर बोझ बढ़ गया है. वहीं, नौकरी के बाजार में ठहराव, ऊंची महंगाई दर, और ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ भी आर्थिक गतिविधियों पर असर डाल रहे हैं.
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