मॉस्को। कर्नाटक के गोकर्ण गांव (Karnataka–Gokarna Village) में गुफा में रहने वाली रूसी महिला (Russian woman) वहां से निकाले जाने से काफी नाराज है। उसका कहना है कि इतने दिनों तक जंगल में रहने के दौरान उसे इतना डर नहीं लगा, जितना अब लग रहा है। नीना कुटिना नाम की इस महिला ने अपने एक दोस्त को बेहद इमोशनल मैसेज भेजा है, जिसमें अपना दर्द बयां किया है। इसमें उसने लिखा है कि गुफा में न किसी जानवर ने हमला किया न कभी सांप ने काटा। लेकिन अब उसे इंसानों से डर लग रहा है। रूस की मूल निवासी 40 साल की कुटिना को उसकी दो बेटियों के साथ इस गुफा से बाहर निकाल लिया गया है।
रास नहीं आ रही बाहर की दुनिया
कुटिना को बाहर की दुनिया रास नहीं आ रही है। वह अपनी गुफा की जिंदगी को याद करके परेशान है। उसे लगता है कि उसका चैन-सुकून उससे छीन लिया गया है। गौरतलब है कि पुलिस ने कुटिना को जंगली जानवरों और सांपों का डर दिखाकर उसे गुफा से बाहर निकाला है। उसे और उसकी दोनों बेटियों को पहले एक आश्रम ले जाया गया। इसके बाद उसने करवार के एक महिला सेंटर में रखा गया है। फिलहाल पुलिस उसे डिपोर्ट करने की प्रक्रिया में जुटी हुई है।
खत्म हो गई गुफा की जिंदगी
कुटिना ने अपने संदेश में लिखा है कि हमारी गुफा की जिंदगी खत्म हो गई। अब हमें एक बिना आसमान वाली जेल सरीखी जगह पर रखा गय है। यहां ना घास है और ना ही झरना। हमें बर्फ जैसी कड़ी सतह पर सोना पड़ रहा है। यह सब किया जा रहा है ताकि हमें बारिश और सांपों से बचाया जा सके। उसने आगे लिखा है कि जंगल में रहने के दौरान बरसों के अनुभव के आधार पर मैं कुछ बताना चाहती हूं। जंगल में खुले आसमान के नीचे, प्रकृति के साथ रहते हुए एक बार भी हमें किसी सांप ने नुकसान नहीं पहुंचाया। कभी भी किसी जानवर ने हम पर हमला नहीं किया। इतने वर्षों तक हम केवल इंसानों से डरते रहे।
बुराई फिर जीत गई
रूसी महिला ने आगे लिखा है कि बारिश सबसे अच्छी चीज है जो प्रकृति हमें देती है। एक सुकून वाली जगह पर बारिश में रहना खुशी देता है। इससे ताकत भी मिलती है और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है। उसने लिखा है कि एक बार फिर से बुराई जीत गई। कुटिना ने लिखा है कि काश हर किसी की जिंदगी ऐसी ही होती है। छोटी सोच और नुकसान पहुंचाने वाले तरीकों से हटकर।
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