
नई दिल्ली: देश की टैक्स व्यवस्था (Tax System) में बड़ा बदलाव होने वाला है. खबर है कि सरकार जीएसटी (Goods and Services Tax) में 12% के स्लैब को खत्म करने की तैयारी में है. प्रधानमंत्री कार्यालय (Prime Minister’s Office) ने इस बड़े बदलाव को हरी झंडी दे दी है. खबर के मुताबिक जीएसटी लागू होने के आठ साल बाद यह पहला इतना बड़ा कदम होगा. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इस पर अंतिम फैसला हो सकता है. यह बैठक संसद के मानसून सत्र के बाद अगस्त में हो सकती है. आइए, आपको बताते हैं कि इस बदलाव से क्या होगा और इसका असर आप पर कैसे पड़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में 12% टैक्स स्लैब को हटाने का प्रस्ताव रखा जाएगा. अभी जीएसटी में पांच मुख्य स्लैब हैं- 0%, 5%, 12%, 18% और 28%. इसके अलावा सोना-चांदी जैसे बुलियन के लिए 0.25% और 3% के दो खास स्लैब भी हैं. प्रस्ताव है कि 12% स्लैब को खत्म करके इसमें शामिल सामानों को 5% या 18% के स्लैब में शिफ्ट किया जाए. इससे टैक्स सिस्टम को और आसान करने की कोशिश है. वित्त मंत्रालय इस बदलाव को लागू करने के लिए राज्यों से बातचीत शुरू कर चुका है. मंत्रालय का मकसद सभी राज्यों को इस सुधार के लिए राजी करना है. जीएसटी काउंसिल ही अप्रत्यक्ष कर से जुड़े फैसले लेती है, और इसकी अगली बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी.
जानकारों का कहना है कि इस बदलाव का मकसद टैक्स स्लैब को कम करना और जीएसटी की प्रक्रियाओं को आसान बनाना है. इससे कारोबारियों को राहत मिलेगी और ग्राहकों के लिए भी चीजें सस्ती हो सकती हैं. अभी 5% स्लैब में 21% सामान, 12% स्लैब में 19% सामान और 18% स्लैब में 44% सामान आते हैं. सबसे ऊंचे 28% स्लैब में सिर्फ 3% सामान हैं. 12% स्लैब खत्म होने से ज्यादातर सामान या तो 5% में जाएंगे या 18% में, जिससे टैक्स ढांचा और साफ होगा.
पिछले कुछ समय से उद्योग जगत जीएसटी में बदलाव की मांग कर रहा है. कारोबारियों का कहना है कि मौजूदा स्लैब और प्रक्रियाएं जटिल हैं, जिससे उन्हें दिक्कत होती है. कई सांसदों ने भी संसद में जीएसटी से जुड़ी समस्याओं को उठाया है और इन्हें हल करने की जरूरत बताई है. सरकार के बड़े अधिकारियों का मानना है कि जीएसटी को और सरल करने से अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार मिलेगी. एक अधिकारी ने कहा, “टैक्स ढांचा अब स्थिर हो चुका है और अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. यह बदलाव करने का सही समय है.” सरकार कई देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर काम कर रही है. ऐसे में जीएसटी को आसान करके स्थानीय उद्योगों को पूरा फायदा दिलाने की कोशिश है.
गौरतलब है कि जीएसटी लागू होने के बाद राज्यों को हुए नुकसान की भरपाई के लिए कुछ खास चीजों, जैसे सिगरेट और गाड़ियों, पर 28% टैक्स के साथ मुआवजा उपकर लगाया गया था. यह व्यवस्था जून 2022 तक थी, लेकिन बाद में इसे मार्च 2026 तक बढ़ा दिया गया. ऐसा इसलिए किया गया ताकि कोविड के दौरान राज्यों की ओर से लिए गए 2.69 लाख करोड़ के कर्ज का ब्याज और मूलधन चुकाया जा सके. जीएसटी काउंसिल ने एक अलग मंत्री समूह बनाया है, जो यह तय करेगा कि उपकर निधि में बचे पैसे का इस्तेमाल कैसे होगा.
अगर जीएसटी काउंसिल इस प्रस्ताव को मंजूरी दे देती है, तो नई दरें जल्द ही लागू हो सकती हैं. हालांकि, इसके लिए सभी राज्यों की सहमति जरूरी है. वित्त मंत्रालय इस दिशा में तेजी से काम कर रहा है. साथ ही, इनकम टैक्स कानून में भी बदलाव की तैयारी है, जिसका बिल मानसून सत्र में पेश हो सकता है.
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