
इंदौर। महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज से सम्बंधित सरकारी हॉस्पिटल प्लास्टिक सर्जरी के मामले में प्रदेश में नम्बर वन है। यह खुलासा एमजीएम मेडिकल कॉलेज डीन ने कल वल्र्ड प्लास्टिक-डे- पर किया । एमजीएम कॉलेज डीन के अनुसार एमवायएच, सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल सहित कैंसर हॉस्पिटल में 60 से ज्यादा प्लास्टिक सर्जरी लगभग हर रोज होती है।
वाकई यह आंकड़ा प्रदेश के अन्य सरकारी अस्पतालों में होने वाली प्लास्टिक सर्जरी से बहुत ज्यादा है। इससे यह बिल्कुल साफ है कि हमारे शहर इंदौर के एमजीएम कॉलेज के सरकारी अस्पताल प्लास्टिक सर्जरी के मामले में मध्यप्रदेश के सभी बड़े सरकारी अस्पतालों से आगे है। मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया ने यह जानकारी कल सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल से लेकर अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में वल्र्ड प्लास्टिक सर्जरी-डे मनाए जाने के दौरान दी। डीन डॉक्टर घनघोरिया ने इस मामले में अग्निबाण को विस्तार से बताया कि अकेले एमवाय हॉस्पिटल में हर रोज लगभग 4000 मरीजों की ओपीडी होती है। इनमें से 50 ज्यादा प्लास्टिक सर्जरी वाले मामले होते हंै। इसके अलावा सुपर स्पेशलिटी और कैंसर हॉस्पिटल में भी जरूरतमंद मरीजों की प्लास्टिक सर्जरी की सुविधा है।
फिल्म में सिर्फ चेहरा बदल देने को ही प्लास्टिक सर्जरी नहीं कहते
डॉक्टर घनघोरिया ने कहा कि आम लोग प्लास्टिक सर्जरी का मतलब वही समझते हैं, जो अक्सर फिल्मों में देखते आए हैं कि सर्जरी कराने वाले का पूरा चेहरा ही बदल दिया जाता है, जिसके कारण उसे लोग पहचान ही नहीं पाते। मगर प्लास्टिक सर्जरी के मामले में यह सोच पूरी तरह सही नहीं है। जिन जरूरतमन्द मरीजों की हर रोज प्लास्टिक सर्जरी होती है, उनमें जन्म से कटे-फटे होंठ या अन्य विकृत अंगों के अलावा दुर्घटना के दौरान घायल अंगों को जोडऩा या फिर आग या ज्वलनशील पदार्थों से जले जरूरतमंदों की त्वचा यानी जली स्किन को हटाकर नई स्किन लगाना, यह सारी सर्जरी को प्लास्टिक सर्जरी ही कहा जाता है। कल प्लास्टिक सर्जरी -डे मनाने वालों में डॉक्टर निशांत खरे और अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज प्रिंसिपल और डीन डॉक्टर अजय प्रताप सिंह सहित प्लास्टिक सर्जरी सोसायटी से जुड़े कई डाक्टर्स शामिल थे।
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