
इन्दौर। नेशनल हाईवे अथॉरिटी (National Highways Authority) द्वारा राऊ (Rau) में 43 करोड़ रुपए (Rs 43 crore) की लागत से बनाए गए पुल (bridge) में 6 महीने में ही गड्ढे हो गए। अग्निबाण द्वारा कल दोपहर इस मामले का खुलासा किए जाने के बाद नेशनल हाईवे अथॉरिटी के अधिकारी जागे और तत्काल ठेकेदार को लेकर गड्ढे भरने के लिए पहुंच गए। देखते ही देखते शाम तक एक दिन में सारे गड्ढे भरने का काम लीपापोती करने की तरह पूरा कर लिया गया।
अग्निबाण ने अपने कल के अंक में प्रमुखता के साथ राऊ के बीच में 6 महीने में गड्ढे पड़ जाने के मामले को उठाया था। इस समाचार का प्रकाशन होने के साथ ही समाचार की कटिंग दिल्ली से लेकर भोपाल तक नेता नगरी ने मेल कर दी। इस कटिंग को मेल कर दिए जाने का परिणाम यह हुआ कि नेशनल हाईवे के भोपाल के रीजनल कार्यालय से इंदौर के कार्यालय को तत्काल इस ब्रिज की स्थिति में सुधार करने के निर्देश दिए गए। इस निर्देश के परिणामस्वरूप नेशनल हाईवे के अधिकारी इस पुल का निर्माण करने वाले ठेकेदार की टीम को लेकर पुल पर पहुंच गए। इस टीम द्वारा ताबड़तोड़ तरीके से पुल पर हुए गड्ढे में मलबा भरकर लीपापोती करने का काम किया गया। इस मामले को उजागर किए जाने के पहले तक नेशनल हाईवे के अधिकारी कह रहे थे कि यह पुल अभी गारंटी पीरियड में है। ऐसे में ठेकेदार द्वारा अपने ही खर्च से मरम्मत का काम किया जाएगा। मरम्मत के नाम पर जिस तरह की लीपापोती ठेकेदार ने कल की है, उसे नेशनल हाईवे के अधिकारी खामोशी के साथ खड़े रहकर देखते रहे। कल की गई मरम्मत के आधार पर अब इस पुल पर बैरिकेड लगाकर गाडिय़ों की आवाजाही में बाधा पैदा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
गडकरी का दावा हवा हो गया
केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री नितिन गडकरी द्वारा हमेशा यह दावा किया जाता है कि हम सडक़ और पुल का निर्माण करने के लिए जो राज्य और सांसद जो प्रोजेक्ट रखता है, उसे मंजूर करते हैं। इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करते हैं कि समयसीमा में क्वालिटी वाला काम किया जाए। राऊ के इस पुल पर हुए गड्ढे से यह तो समझ में आ गया है कि काम कितनी क्वालिटी वाला हुआ था। अब केवल गड्ढे भर दिए जाने से खराब गुणवत्ता का पाप मिट नहीं जाएगा। जरूरत इस बात की है कि इस तरह के घटिया काम करने वाले ठेकेदार और कराने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई की जाए।
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