
नई दिल्ली। भारत (India) में बीमा उद्योग (Insurance Industry) में मंदी (Slowdown) देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण ऑटो ब्रिकी (Auto Sales) में कमी और कॉर्पोरेट पॉलिसी नवीनीकरण (Corporate Policy Renewals) में गिरावट है। एक हालिया रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। हालांकि थर्ड-पार्टी प्रीमियम में हालिया बढ़ोतरी से सुस्त ऑटो बिक्री का प्रभाव आंशिक रूप से संतुलित हो सकता है। थर्ड-पार्टी प्रीमियम, एक प्रकार का बीमा प्रीमियम है जो किसी वाहन के दुर्घटना में तीसरे पक्ष को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए दिया जाता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि बड़े मौजूदा बीमा कंपनियों को बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण द्वारा लगाए गए प्रबंधन व्यय विनियमों के सख्त नियमों से लाभ हो सकता है। प्रबंधन व्यय विनियम, बीमा कंपनियों के लिए एक नियामक ढांचा है, जो यह निर्धारित करता है कि वे अपने व्यवसाय को चलाने के लिए कितना पैसा खर्च कर सकती हैं। ईओएम विनियम, बीमा कंपनियों के लिए एक “खर्च की सीमा” की तरह है।
इसमें कहा गया कि बीमा उद्योग की वृद्धि दर कम रहने की संभावना है। खुदरा स्वास्थ्य में सालाना आधार पर 9.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं ग्रुप स्वास्थ्य बीमा 0.1 प्रतिशत सालना आधार पर स्थिर रहा। इसकी प्रमुख वजह कॉर्पोरेट पॉलिसियों के नवीनीकरण में कमी रही। खुदरा स्वास्थ्य का मतलब है, स्वास्थ्य सेवाओं का खुदरा क्षेत्र में उपलब्ध होना, जैसे कि फार्मेसी या सुपरमार्केट में स्थित क्लिनिक।
इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि खुदरा स्वास्थ्य पॉलिसियों में दर्ज वृद्धि दर पर असर पड़ा है क्योंकि दीर्घकालिक स्वास्थ्य पॉलिसियों की ‘वन-एनथ’ (1/n) मान्यता के चलते इनकी संपूर्ण प्रीमियम राशि एक ही वर्ष में नहीं जोड़ी जाती। इससे रिपोर्ट की गई वृद्धि दर अपेक्षाकृत कम दिखती है।
वहीं, मोटर बीमा क्षेत्र की वृद्धि दर भी कमजोर खुदरा वाहन बिक्री के कारण प्रभावित हुई है। जून 2025 में मोटर बीमा का सकल प्रत्यक्ष प्रीमियम आय (GDPI) सालाना आधार पर 6.7 प्रतिशत बढ़ी, जबकि मई 2024 में यह वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत थी। इस क्षेत्र में टीपी बीमा में 8.1 प्रतिशत की सालाना वृद्धि हुई, जबकि स्वयं क्षति (ओडी) बीमा में 4.7 प्रतिशत की मामूली वृद्धि देखी गई।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों ने आक्रामक रूप से बाजार हिस्सेदारी हासिल करना जारी रखा है। यह वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में 29.4 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में 222 आधार अंकों की वृद्धि है। जून 2025 तक ओडी में उनकी वृद्धि 4.7 प्रतिशत और टीपी में 18.8 प्रतिशत वार्षिक दर्ज की गई। कुल मिलाकर, जून 2025 में उद्योग की जीडीपीआई वृद्धि सुस्त रही।
वहीं अग्नि बीमा में 20.6 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि के साथ मजबूत वृद्धि देखी गई, जबकि स्वास्थ्य बीमा की वृद्धि घटकर 3.3 प्रतिशत वार्षिक रह गई। फसल बीमा को छोड़कर, जीडीपीआई में सालाना आधार पर 9.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई। मोटर खंड में, ओडी और टीपी प्रीमियम में सालाना आधार पर क्रमशः 4.7 प्रतिशत और 8.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
©2025 Agnibaan , All Rights Reserved