
नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने कॉपरेटिव सोसायटी (Co-operative Society) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले ( Money Laundering Case) को लेकर कर्नाटक (Karnataka) में 15 से अधिक जगहों पर छापेमारी की. इस मामले में ईसीआईआर दर्ज (ECIR Filed) की गई है, जो बेंगलुरु के कई पुलिस थानों में एन. श्रीनिवास मूर्ति और उनके परिवार के सदस्यों व करीबी सहयोगियों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई.
मूर्ति ने सुश्रुति सौहार्द सहकारी बैंक की शुरुआत की थी. वह इस बैंक के चेयरमैन हैं. उनकी पत्नी धरनी देवी इस बैंक की डायरेक्टर हैं और उनकी बेटी मोक्षतारा फंक्शनल डायरेक्टर है. आरोप है कि बैंक ने ग्राहकों को उनकी फिक्स्ड डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट पर ब्याज देना बंद कर दिया. जब लोगों ने बैंक से पूछा कि ब्याज क्यों नहीं मिल रहा तो बैंक कर्मचारियों ने सर्वर की समस्या बताकर टाल दिया. आरोप है कि चेयरमैन, डायरेक्टर्स और बैंक के कुछ कर्मचारी मिलीभगत करके ग्राहकों की जमा की गई राशि को हड़प गए.
श्रीनिवास मूर्ति ने लोगों को ज्यादा ब्याज का लालच देकर बैंक में एफडी और टर्म डिपॉजिट कराने को कहा. लोगों ने अपने और अपने परिवार के नाम पर बैंक में पैसा जमा कराया. बाद में उन्होंने श्रुति सौहार्द क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी शुरू की, जिसमें उनके रिश्तेदार बी.वी. सतीश (बहनोई) अध्यक्ष और दीपक जी (भतीजा) उपाध्यक्ष बने. शुरुआत में लोगों को ब्याज मिला, लेकिन 2021-22 के बाद न ब्याज मिला, न एफडी बंद करने दी गई. कई लोगों को इसी तरह धोखा दिया गया.
मूर्ति ने अलग-अलग वित्तीय संस्थाएं बनाई, जैसे श्री लक्ष्मी महिला को-ऑपरेटिव सोसायटी (जिसका संचालन उनकी दूसरी पत्नी करती है) और वहां भी लोगों से पैसे जमा कराकर ठगा. उन्होंने अपने परिवार और दोस्तों के नाम पर कई संपत्तियां खरीदीं. बैंक की हर जरूरी कमेटी (लोन, निवेश, ऑडिट आदि) के चेयरमैन खुद थे, जिससे बैंक की रकम का मनचाहा उपयोग कर सकें.
उन्होंने अपने करीबी लोगों को बिना किसी गारंटी के लोन दिए, जिनमें से ज़्यादातर रकम बैंक को वापस नहीं मिली. लोन की रकम अक्सर कैश में निकाली गई या घुमा-फिराकर मूर्ति, उनके परिवार या उनके व्यापारिक संस्थानों के अकाउंट्स में डाली गई.
मूर्ति ने अपने परिवार, रिश्तेदारों और करीबियों के बैंक खातों के ज़रिए रकम को इधर-उधर घुमाया, जिससे असली स्रोत छुपाया जा सके. यह मनी लॉन्ड्रिंग का क्लासिक तरीका है, जिसमें काले धन को वैध दिखाने के लिए बैंक खातों और संपत्तियों का इस्तेमाल किया गया.
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