
इंदौर। केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण की स्वच्छ सुपर लीग में सर्वोत्तम रहने के बाद भी इंदौर को इस बार हमेशा की तरह पुरस्कार के रूप में गांधीजी की प्रतिमा नहीं मिली। इंदौर की टीम को शील्ड लेकर वापस लौटना पड़ा। अपने जीवनकाल में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दो बार इंदौर की यात्रा पर आए थे। उनकी यह दोनों बार की यात्रा ऐतिहासिक रही। इसी यात्रा के दौरान उनके द्वारा इंदौर से ही हिंदी को राष्ट्रभाषा घोषित करने का अभियान शुरू किया गया था।
देश की आजादी के आंदोलन में और आजादी के बाद महात्मा गांधी द्वारा स्वच्छता को हमेशा सर्वोच्चता दी गई थी। यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा स्वच्छ भारत मिशन गांधीजी को समर्पित कर शुरू किया गया। इस मिशन का प्रतीक चिह्न गांधीजी के चश्मे को बनाया गया। इस मिशन में स्वच्छता सर्वेक्षण के विजेता शहरों को इनाम के रूप में गांधीजी की प्रतिमा के स्वरूप की ही ट्रॉफी दी जाती है।
पिछले 7 सालों से देश का सबसे स्वच्छ शहर होने का खिताब हासिल करते हुए इंदौर को पुरस्कार के रूप में गांधीजी की प्रतिमा की ट्रॉफी ही मिली है। इस साल इंदौर को गांधीजी की प्रतिमा नहीं मिली। इस बार स्वच्छ लीग में सर्वोत्तम होने के कारण इंदौर को केवल एक शील्ड मिल सकी है, जबकि मूल सर्वेक्षण में विजेता रहे शहरों को पूर्व की तरह गांधीजी की प्रतिमा वाली ट्रॉफी ही मिली है। अवॉर्ड के रूप में अब तक मिली गांधीजी की सभी सात प्रतिमाएं नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के निगम मुख्यालय स्थित कार्यालय में रखी हुई हैं।
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