
नगर के नेताओं को है अब मिश्रा की टीम का इंतजार
भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रदेश अध्यक्ष (State President) की नियुक्ति के बाद सभी जिलों में भी नगर व जिला कार्यकारिणी (executive) बनाई जाना है। जुलाई के अंतिम सप्ताह तक भोपाल नाम भेजना है। इसके कारण नाम को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। हर नेता नगर व जिला कार्यकारिणी में स्थान पाना चाहता है, जिनमें प्रमुख नाम ऐसे भी हैं, जो प्रदेश के भी पदाधिकारी रह चुके हैं। युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अमरदीप मौर्य नगर महामंत्री की दौड़ में हैं, वहीं नगर अध्यक्ष बनने की दौड़ में दूसरे नंबर पर रहे टीनू जैन भी हाथ-पैर मार रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय कोटे से अशोक चौहान चांदू नगर पदाधिकारी बनने की जुगाड़ में हैं। जीतू जिराती अपने समर्थक निलेश चौधरी के लिए प्रयास कर रहे हैं। लंबे समय तक विधानसभा 2 में युवाओं की राजनीति करने वाले रोहित चौधरी भी रमेश मेंदोला के भरोसे नगर कार्यकारिणी में पदाधिकारी बनने की आस में हैं। महाराष्ट्रीयन समाज की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहने वाली स्वाति काशिद भी महिला कोटे से कार्यकारिणी में आने की कोशिश कर रही हैं। महापौर पुष्यमित्र भार्गव अपने मित्र भरत पारीख का नाम आगे बढ़ा रहे हैं। नगर कार्यकारिणी में अपने समर्थकों को स्थान दिलाने के लिए भाजपा नेताओं में शक्ति का प्रदर्शन शुरू हो गया है। इस समय हालात एक अनार सौ बीमार वाले हैं…
नवसृजन की हवा निकालने के लिए नेता हो गए एक
कांग्रेस द्वारा मध्यप्रदेश में लागू किए गए नवसृजन अभियान की हवा निकालने के लिए कांग्रेस के बड़े नेता एक होने लगे हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को अब प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी से कोई शिकायत नहीं है तो पटवारी और उमंग सिंघार ने भी अपने गिल- शिकवे दूर कर लिए हैं। कमलनाथ छिंदवाड़ा में अपने वर्चस्व को कायम रखने में लगे हैं तो अजयसिंह, अरुण यादव को केवल अपने क्षेत्र से मतलब है। आदिवासी चेहरे के रूप में विक्रांत भूरिया भी अब झाबुआ क्षेत्र तक सिमटते हुए नजर आ रहे हैं। इस नवसृजन अभियान से चाहे मैदानी नेताओं को पद नहीं मिल पाए, लेकिन हां कांग्रेस के नेताओं के बीच चाहे थोड़े समय के लिए ही सही, लेकिन एका तो हो जाएगा… इन दिनों दिल्ली में पर्यवेक्षकों द्वारा दी गई रिपोर्ट पर विचार करने का काम चल रहा है और कांग्रेस का हर क्षत्रप अपने क्षेत्र में अपने समर्थक को कुर्सी दिलाने में लग गया है। इतना तो तय हो गया है कि गुजरात की तरह ईमानदारी से अध्यक्ष की नियुक्ति मध्यप्रदेश में नहीं हो पाएगी…
2030 के सुनहरे सपने में आज की हकीकत
शनिवार के दिन इंडियन कॉफी हाउस में शहर के बुद्धिजीवियों को लेकर सांसद शंकर लालवानी बैठे हुए थे… इस मौके पर वे इन बुद्धिजीवियों को बता रहे थे कि वर्ष 2030 के इंदौर के लिए किस तरह से सपनों का ताना-बाना बुना गया है… जब 2030 आएगा तब तक इंदौर की औद्योगिक प्रगति कितनी हो जाएगी, बाजारों की स्थिति कितनी बदल जाएगी, व्यापार कितना बढ़ जाएगा, आईटी सेक्टर कितना मजबूत हो जाएगा। सब यह कुछ सुन ही रहे थे कि इस समय लाइट चली गई… तत्काल बुद्धिजीवी कह उठे कि 2030 में तो जो होगा, उसे तब देखेंगे, लेकिन आज के समय पर जो बिना घोषणा के कई घंटे तक लाइट जाती है, उसका भी समाधान निकाल लेना चाहिए… अब इस बात का सांसद के पास कोई जवाब नहीं था…
गौरव गाथा के बीच उठा दिया महत्वपूर्ण सवाल
जिस समय दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में स्वच्छता सर्वेक्षण के परिणाम घोषित करते हुए इंदौर को स्वच्छ सुपर लीग में सम्मानित किया जा रहा था, उस समय इंदौर में जश्न मनाया जा रहा था… उसके बाद से नगर निगम से जुड़ा हर नेता शहर को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम द्वारा किए गए कामों और खुद की उपलब्धि का बखान करता हुआ नजर आ रहा था… जिन्होंने अब तक स्वच्छता में कभी कोई योगदान नहीं दिया, वे भी श्रेय लूटने में पीछे नहीं रहना चाहते थे… ऐसी स्थिति में नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने यह सवाल उठा दिया कि जनता के सहयोग से लगातार प्रथम आकर उपलब्धि हासिल कर रहे इस शहर में जनता को इस उपलब्धि के एवज में क्या मिला…? यह सवाल गंभीर था, लेकिन इस शहर में वातावरण इस तरह की गंभीर बातों पर बात करने के लिए तैयार नहीं था… ऐसे में बड़ा सवाल आत्मस्तुति में गुम हो गया…
भाजपा कार्यालय की परिक्रमा
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल द्वारा एक महीने के अंदर सभी नगर निगम, नगर पालिका में एल्डरमैन की नियुक्ति करने और स्थानीय स्तर पर गठित होने वाली समिति में सदस्यों की नियुक्ति करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए सभी शहर और जिला कमेटियों से नाम मांगे गए हैं। इसके चलते हुए बड़ी संख्या में भाजपा के नेता अब शहर कार्यालय के चक्कर लगाते हुए नजर आ रहे हैं। यह सभी वे नेता हैं, जो किसी न किसी कमेटी में आकर पावर हासिल करना चाहते हैं। इस पावर के लिए वह शहर अध्यक्ष सुमित मिश्रा की नजर अपनी ओर करवाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा नेताओं की रुचि नगर निगम में एल्डरमैन बनने और इंदौर विकास प्राधिकरण में संचालक मंडल में आने में है। जो नेता ताकतवर हैं और विधायक का समर्थन रखते हैं, वे प्राधिकरण के लिए तैयार ताकत लगा रहे हैं। बाकी के नेता नगर निगम में जाकर आनंद की प्राप्ति करना चाहते हैं। अब देखना है कि सत्ता का यह प्रसाद किसे मिलता है और किसे नहीं…
उमंग सिंघार का बड़ा दांव
मध्यप्रदेश में कांग्रेस में चल रहे परिवर्तन के दौर के बीच में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बड़ा दांव कर दिया। उन्होंने पहली बार कांग्रेस के विधायकों का प्रशिक्षण और संकल्प शिविर पर्यटन स्थल मांडू में रखवा दिया। इस शिविर को कांग्रेस सुप्रीमो राहुल गांधी भी ऑनलाइन संबोधित करेंगे। इसके साथ ही कांग्रेस में वर्तमान में फैसला लेने वाले सभी ताकतवर नेताओं का ऑनलाइन सेशन रखवा दिया। इस शिविर के माध्यम से सिंघार ने दिल्ली के दरबार में अपनी पकड़ को मजबूत करने का खेल खेला। अब कांग्रेस के नेता समझ नहीं पा रहे हैं कि 2028 के विधानसभा के चुनाव के लिए 2025 में विधायकों का प्रशिक्षण रखने की क्या जरूरत पड़ गई? उन विधायकों का प्रशिक्षण रखा जा रहा है, जो कि लाड़ली बहना योजना की आंधी के बीच से चुनाव जीत कर आ गए हैं… यानी कि जिन्हें प्रशिक्षण की जरूरत नहीं है, उनके लिए अपनी ताकत बढ़ाने के मकसद से शिविर रखवा दिया…
– डॉ जितेन्द्र जाखेटिया
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