
नई दिल्ली: कल्पना कीजिए कि किसी गांव (Village) में एकमात्र स्कूल (School) बंद कर दिया जाए और छोटे बच्चों (Small Children) को हर दिन तीन-चार किलोमीटर दूर चलकर पढ़ाई (Study) के लिए जाना पड़े. कुछ कदम नहीं बल्कि भविष्य की दिशा ही छीन ली जाती है. आम आदमी पार्टी (AAP) अब ऐसे ही स्कूलों को बचाने के लिए जमीन से लेकर संसद (Parliament) तक आवाज उठा रही है.
राज्यसभा (Rajya Sabha) में आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता और सांसद संजय सिंह (Sanjay Singh) ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में सरकारी स्कूलों (Government Schools) को बंद करने के फैसले पर गहरी आपत्ति जताने की बात की है. उन्होंने मानसून सत्र के पहले ही दिन राज्यसभा में नियम 267 के तहत इस विषय पर चर्चा की मांग करते हुए नोटिस दिया. संजय सिंह का कहना है कि शिक्षा सुधार का मतलब स्कूलों को बंद करना नहीं बल्कि उन्हें और मजबूत बनाना होना चाहिए.
संजय सिंह ने कहा कि अकेले उत्तर प्रदेश में अब तक 10,827 प्राथमिक विद्यालयों का विलय किया जा चुका है और 25,000 से अधिक स्कूल बंद हो चुके हैं. अब सरकार ने 5,000 और स्कूलों को बंद करने का आदेश दे दिया है और यह सब बिना स्थानीय समुदायों से कोई बातचीत किए. उनका आरोप है कि इससे सबसे ज्यादा नुकसान गरीब, दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज के बच्चों को हो रहा है, जिनकी शिक्षा अब दूर होती जा रही है. संजय सिंह ने कहा, “हम 21वीं सदी की शिक्षा की बात करते हैं, लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि एक-एक शिक्षक पूरे स्कूल को संभाल रहा है लाखों पद खाली हैं और बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में पसीना आ जाता है.”
उन्होंने अपने पत्र में संविधान के अनुच्छेद 21A और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का हवाला देते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों की यह अनदेखी सीधे तौर पर बच्चों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. संजय सिंह ने कहा, “पूरे देश में अब तक करीब 90,000 सरकारी स्कूल बंद हो चुके हैं. यह कोई राज्य स्तर की समस्या नहीं रह गई है, यह एक राष्ट्रीय आपात स्थिति है. अगर स्कूल नहीं बचाए गए, तो हम अगली पीढ़ी का भविष्य ही खो देंगे.”
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