
पिपल्याकुमार में महालक्ष्मी नगर मेनरोड की सवा लाख स्क्वेयर फीट से अधिक मंदिर की जमीन का उजागर हुआ बड़ा घोटाला, तहसीलदार ने नामांतरण भी कर डाले
– मिसल बंदोबस्त में 2.94 एकड़ जमीन इनाम देवस्थान की
– पूजा-अर्चना के लिए जय पत्र से पुजारी को मिली थी जमीन
– 128084 स्क्वेयर फीट जमीन के कर डाले 11 टुकड़े
– प्रशासन अब खाली पड़ी जमीन को करेगा हासिल
इंदौर, राजेश ज्वेल।
पिपल्याकुमार (Pipalyakumar) स्थित महालक्ष्मी नगर (Mahalakshmi Nagar) मेनरोड पर देवस्थान खेड़ापति हनुमान मंदिर (Khedaapati Hanuman temple) की 2.94 एकड़ बेशकीमती जमीन 11 मुसलमानों (11 Muslims) के नाम हो गई। मिसल बंदोबस्त 1925-26 के मुताबिक खसरा क्रमांक 206 की ये 128084 स्क्वेयर फीट जमीन मौके पर खाली भी पड़ी है और आगे की तरफ मोटर गैरेज व अन्य गुमटियां लगी हैं। वर्तमान में इस जमीन की कीमत 250 करोड़ रुपए से कम नहीं है। अब प्रशासन इस जमीन को हासिल करने में जुटा है। अब प्रशासन जल्द ही एक प्रकरण में नामांतरण निरस्ती की प्रक्रिया के साथ जमीन को सरकारी घोषित करने का आदेश जारी करेगा, साथ ही इस मामले में मिलने वाली अदालती चुनौती का भी जवाब दिया जाएगा।
पिछले साल भी जिला प्रशासन ने श्री खेड़ापति हनुमान मंदिर मल्हारबाग देपालपुर की 35 एकड़ से अधिक जमीन को सरकारी घोषित किया था। सर्वे नम्बर 190, 1065 और 1066 की यह जमीन 24 साल तक चले विवाद के बाद प्रशासन को हासिल हुई और इस जमीन की कीमत भी 80 करोड़ रुपए से अधिक है और कलेक्टर आशीष सिंह ने इस जमीन को हासिल करने के साथ ही अन्य ऐसी ही कुछ और मंदिरों की जमीनों की जांच भी शुरू करवाई, जिसमें पिपल्याकुमार स्थित खेड़ापति हनुमान मंदिर की जमीन भी शामिल है, जो अफसरों की लापरवाही के कारण कानूनी दांव-पेंच में उलझ गई और 15 साल पहले पुजारी द्वारा बेची गई। मंदिर की इस जमीन का नामांतरण तत्कालीन तहसीलदार सत्येन्द्र सिंह द्वारा किया गया था। इस संबंध में तथ्य यह हैं कि मिसल बंदोबस्त में उक्त 2.94 एकड़ जमीन इनाम देवस्थान खेड़ापति मंदिर पुजारी नंदराम वल्द ऊंकारदास बैरागी के नाम दर्ज है। वर्ष 2008-09 तक यह जमीन कलेक्टर के नाम पर दर्ज रही। इसके बाद पुजारी बैरागी द्वारा कोर्ट में शासन के खिलाफ दावा लगाया गया और उसमें पारित निर्णय व जयपत्र में आदेश दिया गया कि वादग्रस्त भूमि को श्रीराम मंदिर और खेड़ापति मंदिर की पूजा-अर्चना की जाने हेतु दायित्वाधीन होकर वादी के भूमि स्वत्व की है। उक्त आदेश के विरुद्ध शासन ने प्रथम अपील भी दायर की मगर अपील अवधि समय बाह्य होने से निरस्त हो गई और उसकी दूसरी अपील हाईकोर्ट में की गई और वहां भी अवधि समय बाह्य होने के आधार पर अपील निरस्त हुई ,तत्पश्चात शासन ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की और यह भी 2004 में निरस्त हो गई, यानी अदालती प्रकरणों में शासन को पक्ष रखने का अवसर ही नहीं मिला, जबकि कोर्ट आदेश का भी मतलब यह था कि जब तक पुजारी पूजा-अर्चना करेंगे तब तक ही भूमि पर उनका हक रहेगा। मगर पुजारी ने उक्त जमीन को 11 अलग रजिस्ट्रियों के माध्यम से बेच दी और उसके आधार पर तहसीलदार ने नामांतरण आदेश भी पारित कर दिए, वहीं धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के एक आदेश के आधार पर कलेक्टर आशीष सिंह ने इस जमीन को हासिल करने की प्रक्रिया शुरू करवाई और एसडीएम जूनी इंदौर प्रदीप सोनी इस मामले की जांच कर रहे हैं। प्रशासन का कहना है कि पुजारी को उक्त जमीन विक्रय करने का अधिकार जयपत्र के जरिए भी हासिल नहीं हुआ और उसके द्वारा न्यायालय आदेश की अवमानना करते हुए जमीन की सरकारी जमीन का विक्रय अपने निजी हित में कर दिया, वहीं न्यायालय राजस्व मंडल के 15 जून 2016 के आदेश और सरकारी मंदिर की जमीनों को लेकर जो गजट नोटिफिकेशन 25 अक्टूबर 2014 को जारी किया गया, उसमें कहा गया कि विधि में उपलब्ध विकल्पों का इस्तेमाल करते हुए देव, मूर्ति, मंदिर की मूल भूमि पुन: प्राप्त की जाए। लिहाजा अब प्रशासन तहसीलदार द्वारा किए गए नामांतरणों को निरस्त करते हुए खेड़ापति हनुमान मंदिर की इस बेशकीमती जमीन को पुन: हासिल करने में जुट गया है। इस जमीन के पीछे असली कर्ताधर्ता एक हॉस्पिटल संचालक है, जिनके द्वारा इस विवादित जमीन को बेचने के लगातार प्रयास भी किए जाते रहे है। प्रशासन इस बात की भी जांच कर रहा है कि कही इन 11 मुसलमानों के नाम हुई जमीन फिर से तो नहीं बिक गई। इस संबंध में पंजीयन विभाग से जानकारी ली जा रही है।
जमीन इन 11 लोगों के नाम हुई
पुजारी ने खेड़ापति हनुमान मंदिर की 2.94 एकड़ जो जमीन बेची उसके 11 टुकड़े किए गए, जो मुसलमानों द्वारा ही खरीद लिए गए, जिसमें इम्तियाज पिता अब्दुल रज्जाक 12, दौलतगंज और सैय्यद मोईनुद्दीन अहमद, मोहम्मद सलीम पिता अब्दुल, मोहम्मद फारुक पिता हाजी इब्राहिम, आबेदा पति मोहम्मद फारूख, रिजवान पिता मोहम्मद फारूख, रजीया पति अमीन, मोहम्मद नईम, मोहम्मद अशफाक, असलम पिता अब्दुलक रज्जाक, अंजुम पति सलाम, अब्दुल रज्जाक, मोहम्मद मुनाफ, नूर मोहम्मद, अब्दुल मजीद, इकबाल और मोहम्मद माज पिता मोहम्मद इकबाल दौलतगंज इंदौर के नामों पर यह जमीन हो गई।
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